सुप्रीम कोर्ट.
मुस्लिम पुरुष को एक से ज्यादा शादियों का रजिस्ट्रेशन की इजाजत के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता बॉम्बे हाईकोर्ट में पक्षकार नही था, लिहाजा उसकी याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकता है. राष्ट्रवादी शिव सेना के अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिम पुरुष अपनी एक से ज्यादा शादियों का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं, क्योंकि उनके व्यक्तिगत कानून उन्हें एक समय में चार शादियां करने की अनुमति देता है. ठाणे नगर निगम ने एक मुस्लिम व्यक्ति की तीसरी शादी का रजिस्ट्रेशन करने से इनकार कर दिया था. जिसके खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया था.
अदालत ने अपने आदेश में क्या कहा?
हालांकि अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि इस रोक को पूरी तरह से गलत करार दिया और कहा कि अधिनियम में कोर्ट को ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो किसी मुस्लिम व्यक्ति को तीसरी शादी पंजीकृत करने से रोकता हो. हाई कोर्ट ने कहा मुसलमानों के लिए निजी कानूनों के तहत उन्हें एक समय में चार पत्नियां रखने का अधिकार है. हम अधिकारियों की इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन और विवाह पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मुस्लिम पुरुष के मामले में भी केवल एक विवाह पंजीकृत किया जा सकता है.
विवाह के रजिस्ट्रेशन से क्यों किया इनकार?
ठाणे नगर निगम के अधिकारियों ने इस आधार पर विवाह का रजिस्ट्रेशन करने से इनकार कर दिया कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत की परिभाषा में केवल एक ही विवाह को शामिल किया गया है, एक से अधिक विवाह को नही. मुस्लिम व्यक्ति ने फरवरी 2023 में एक अल्जीरियाई महिला से की थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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