
कल्कि धाम पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम.
Sambhal News: श्री कल्कि धाम—एक ऐसा तीर्थस्थल जो कभी केवल आध्यात्मिक आकांक्षाओं का प्रतीक था, अब एक तेजी से उभरता हुआ दिव्य ऊर्जा केंद्र बन चुका है. इस परिवर्तन की शुरुआत उस क्षण से मानी जाती है, जब भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं यहां की पवित्र शिलाओं का पूजन किया. अब यह आध्यात्मिक धारा एक ऐतिहासिक मोड़ लेने जा रही है.
11 जून 2025, प्रातः 10:00 बजे, श्री कल्कि धाम में उन पूजित शिलाओं की भूमिगत स्थापना (भूगर्भ स्थापना) का शुभ अनुष्ठान संपन्न होगा. यह अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक क्षण श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारकाशारदा पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज के दिव्य सान्निध्य और मार्गदर्शन में सम्पन्न होगा — जो सनातन धर्म की सर्वोच्च आध्यात्मिक परंपरा के प्रतिनिधि माने जाते हैं.
इस विशेष अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार, अन्य कई विशिष्ट संतजनों एवं धार्मिक प्रतिनिधियों के साथ उपस्थित रहेंगे. देशभर से हजारों श्रद्धालु इस अविस्मरणीय क्षण के साक्षी बनने के लिए कल्कि धाम पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं. यह केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सनातन चेतना का पुनर्जागरण है.
इन शिलाओं की स्थापना कोई साधारण निर्माण कार्य नहीं, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक आत्मा और राजनीतिक संकल्प का प्रतीकात्मक संगम है. यह उस विचार का पुनर्पुष्टि है कि भारत के मंदिर केवल ईंट और पत्थर की संरचनाएं नहीं, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक प्रकाशस्तंभ होते हैं.
आयोजकों ने देशभर के मीडिया प्रतिनिधियों, छायाकारों और अध्यात्मिक लेखकों से अनुरोध किया है कि वे इस ऐतिहासिक अवसर को केवल रिपोर्ट न करें, बल्कि इसकी चेतना को जन-जन तक पहुंचाएं. यह धर्म, एकता और जागरण का ऐसा संदेश है, जिसे हर कोने तक ले जाना समय की पुकार है.
जैसे-जैसे श्री कल्कि धाम एक जीवंत चेतना केंद्र के रूप में आकार ले रहा है, आने वाली पीढ़ियां 11 जून को उस दिन के रूप में याद रखेंगी, जब पूजित शिला ने पवित्र धरती से मिलकर एक नई आध्यात्मिक विरासत की नींव रखी. यह सिर्फ स्थापना नहीं, बल्कि राष्ट्रधर्म का नवसंस्कार है — और भारत के धार्मिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय.
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