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Delhi High Court

WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में इस मामले में दर्ज प्राथमिकी एवं आरोप तय होने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

कोर्ट ने कहा कि फाइल 21 मई, 2018 को उसके समक्ष पेश की गई थी और उसके बाद फिर से पेश करने को कहा गया था. गत आदेशों के अनुसार इस मामले की सुनवाई के लिए मंत्रालय की फाइल तैयार रखी जानी थी.

कोर्ट ने कहा कि एआई और डीपफेक टेक्नोलॉजी किसी की निजता के हनन के लिए नही होना चाहिए और इसका दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा निर्देश तय करने चाहिए

नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) में पुरुष या स्त्री किसी के साथ भी अप्राकृतिक यौन संबंध के तहत गैर-सहमति वाले कृत्यों को अपराध की श्रेणी में रखने का कोई प्रावधान नहीं है.

सीबीआई ने कहा था कि बेसमेंट ही अवैध तरीके से बनी हुई थी. सीबीआई ने यह भी कहा था कि जब लीज़ डीड बनाई गई तो उसके लिए उचित इजाज़त भी नहीं ली गई थी.

अपील लंबित रहने के दौरान वह पांच महीने एवं 22 दिन की सजा काट चुका था. हाईकोर्ट ने जेल में बिताई गई सजा को ही सजा माना और उसे आगे की सजा नहीं दी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि पहले से ही पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और तकनीकी चुनौतियों की परवाह किए बिना कठोर समयसीमा लागू करना विवेकपूर्ण नहीं होगा.

याचिकाकर्ता अभय वर्मा लक्ष्मी नगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

अदालत ने समझौते के बावजूद JCB के खिलाफ जांच जारी रखने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की खिंचाई की और कहा कि वैधानिक अधिकारियों को मध्यस्थता प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए.

एमसीडी की स्टेटस रिपोर्ट पर विचार करने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका का निपटारा कर दिया. अदालत ने कहा कि उपरोक्त के मद्देनजर अदालत संतुष्ट है कि आगे कोई निर्देश पारित करने की आवश्यकता नहीं है.