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Delhi High Court

हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह एक ट्रांसजेंडर को लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए उचित सुरक्षा मुहैया कराए.

दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष का पद पिछले साल जुलाई से खाली है. अदालत को बताया गया कि मार्च में उपराज्यपाल ने रिक्ति भरने के लिए एक 'अंतरिम व्यवस्था' की थी.

याचिका में भगवान और पूजा स्थल के नाम पर वोट मांगकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए पीएम मोदी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी.

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि दिल्ली की मौजूदा सरकार की रुचि केवल सत्ता के इस्तेमाल में है।

मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि इन अपराधों में शामिल सभी लोग उचित मंचों पर आरोपों का विरोध कर सकते हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि रिकार्ड की छंटनी की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करने और नियमित आधार पर निगरानी करने की आवश्यकता है।

आरटीआई से जानकारी मांगने वाले ने संबंधित अधिकारी के फैसले को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में चुनौती दी थी, जिसे उसने स्वीकार कर लिया और संस्थान से आवेदक की ओर से मांगी गई जानकारी देने का निर्देश दिया।

न्यायिक शिक्षा और प्रशिक्षण न केवल कानूनी सिद्धांतों पर बल्कि अदालत के सामने आने वाले लोगों के विविध पृष्ठभूमि एवं उसकी वास्तविकताओं पर भी केंद्रित होनी चाहिए. इससे समाज की रूढ़िवादी सोच को बदलने एवं एक बेहतर फैसला देने में मदद मिलेगी.

यह समन एक शिकायत पर जारी किया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि अंसल प्रापर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक प्रणव अंसल और अन्य लोगों ने शिकायतकर्ता सुनील मंगल पर कंपनी में अपने पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला था.

अधिवक्ता सुनील ने पीठ का ध्यान तिहाड़ झील की बदहाली की ओर दिलवाते हुए कहा कि तिहाड़ झील का विकास डीडीए ने सरकारी खजाने से भारी मात्रा में पैसा खर्च करके किया था.