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Delhi High Court

कोर्ट ने यह आदेश एक छात्रा की याचिका पर दिया, जिसने पांचवीं कक्षा तक की पढाई राजधानी दिल्ली के पेशवा रोड स्थित नवयुग स्कूल में की थी और उत्तर पश्चिम दिल्ली के मुंगेशपुर स्थित जवाहर नवोदय स्कूल में छठी कक्षा में प्रवेश चाहती थी.

केंद्र एवं दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिल्ली के भंडारण गृहों में दवाओं की उपलब्धता के साथ उसकी आपूर्ति का विवरण दिया था.

वकील उन कारणों से निराश हो रहा था, जिनके बारे में वह अच्छी तरह जानता था, उसकी दृष्टि बहुत कमजोर थी और वह पढ़ने और लिखने में असमर्थ था.

न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने कहा कि प्रो-कुलपति और फिर कार्यवाहक कुलपति के पद पर प्रोफेसर हुसैन की नियुक्ति कानून के अनुरूप नहीं है।

डॉक्टरों के कई संगठनों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पतं​जलि के उत्पाद कोरोनिल को केवल प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली दवा के रूप में लाइसेंस दिया गया था, जबकि बाबा रामदेव का दावा इसके विपरीत है.

कोर्ट ने कहा कि भले ही एनएससीएन (आईएम) को आतंकी संगठन घोषित करने की औपचारिक घोषणा न हुआ हो, लेकिन मासासोसांग के खिलाफ लगाए गए आरोप काफी गंभीर हैं.

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी दोनों के मामलों में देरी के आधार पर जमानत की मांग की थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह फैसला अभियुक्त बिलाल अहमद मीर, सज्जाद अहमद खान, मुजफ्फर अहमद भट, मेहराज-उद-दीन चोपन एवं इश्फाक अहमद भट्ट की अपील पर दिया है, जिन्होंने अपनी सजा को चुनौती दी थी.

जनहित याचिका जैकब वडक्कनचेरी नामक व्यक्ति ने दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि दवाएं साइड इफेक्ट्स के साथ आती हैं, जो बहुत नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखती हैं और रोगी को एक सूचित विकल्प चुनने का अधिकार है.

याचिका में कहा गया है कि ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्च’ नाम की डॉक्यूमेंट्री ने देश की छवि को खराब किया है. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भारतीय न्यायापालिका के खिलाफ झूठे व मानहानिकारक आरोप लगाए हैं.