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London: CJI जस्टिस बी.आर. गवई ने SIAC Rules के भारत-संबंधित मध्यस्थता पर पड़े प्रभाव को किया रेखांकित

Singapore International Arbitration Centre: भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने लंदन में SIAC और Trilegal के आयोजन में 7वें एडिशन के रूल्‍स की सराहना की. भारत-सिंगापुर सहयोग और मध्यस्थता में दक्षता पर जोर दिया.

London International Disputes Week: यूनाइटेड किंगडम की राजधानी लंदन में 6 जून 2025 को सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) और Trilegal द्वारा संयुक्त रूप से लंदन इंटरनेशनल डिस्‍प्‍यूट वीक (LIDW) के दौरान एक महत्वपूर्ण आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामचंद्र गवई ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया. उन्होंने अपने संबोधन में “नेविगेटिंग द इवॉल्विंग लैंडस्केप: द इम्पैक्ट ऑफ द 7th एडिशन ऑफ द SIAC रूल्स ऑन इंडिया-रिलेटेड आर्बिट्रेशन्स” विषय पर विचार व्यक्त किए. इस आयोजन में वैश्विक स्तर के कानूनी विशेषज्ञ, मध्यस्थता विशेषज्ञ और नीति निर्माता शामिल हुए.

मुख्य न्यायाधीश का स्वागत और उनका संबोधन

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अपने संबोधन की शुरुआत में लंदन की कानूनी परंपराओं की प्रशंसा की और मजाकिया अंदाज में कहा कि यहाँ की चाय जितनी स्‍ट्रॉंग है, उतने ही मजबूत यहाँ के कानूनी तर्क हैं. उन्होंने SIAC और Trilegal को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया.

जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों के साथ न्याय प्रशासन में भी बदलाव की जरूरत है. उन्होंने मध्यस्थता को एक प्रभावी वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में रेखांकित किया, जो गोपनीय, विशेषज्ञ-चालित और पक्षकारों की जरूरतों के अनुरूप है.

SIAC रूल्‍स का 7वां संस्करण, भारत की बात

जस्टिस बी.आर. गवई ने 1 जनवरी 2025 से लागू हुए SIAC रूल्‍स के 7वें संस्करण की सराहना की. ये नियम प्रक्रियात्मक दक्षता बढ़ाने, लागत कम करने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि छोटे मूल्य के विवादों के लिए नई सुव्यवस्थित प्रक्रिया छोटे और मध्यम भारतीय उद्यमों के लिए लाभकारी होगी, जो पहले मध्यस्थता की लागत से हिचकते थे. इसके अलावा, “समन्वित कार्यवाही” का प्रावधान भी महत्वपूर्ण है, जो एक से अधिक मध्यस्थताओं को एक ही ट्रिब्यूनल के समक्ष समन्वय करने की अनुमति देता है, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी.

भारत-सिंगापुर के बीच सहयोग और मध्यस्थता

जस्टिस बी.आर. गवई ने भारत और सिंगापुर के बीच मजबूत न्यायिक और वाणिज्यिक सहयोग पर प्रकाश डाला. उन्होंने सितंबर 2023 में दोनों देशों के सर्वोच्च न्यायालयों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन और फरवरी 2023 में सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश सुंदरेश मेनन की भारत यात्रा का उल्लेख किया. जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि सिंगापुर की तटस्थता, दक्षता और तकनीकी नवाचारों ने उसे भारतीय पक्षकारों के लिए पसंदीदा मध्यस्थता स्थल बनाया है. 2011 से 2022 तक 2,000 से अधिक भारतीय पक्षकारों ने SIAC में 1,300 से ज्यादा मध्यस्थताओं में भाग लिया, और इस दौरान भारतीय अदालतों ने किसी भी SIAC पुरस्कार को रद्द नहीं किया.

आधुनिक तकनीक और वैश्विक मध्यस्थता

SIAC के नए नियमों में वर्चुअल और हाइब्रिड सुनवाई को स्पष्टता दी गई है. जस्टिस बी.आर. गवई ने “SIAC गेटवे” नामक क्लाउड-आधारित केस प्रबंधन मंच की सराहना की, जो मध्यस्थता (Arbitration) को डिजिटल रूप से संचालित करने में मदद करता है. इसके अलावा, SIAC-एसआईएमसी आर्ब-मेड-आर्ब प्रोटोकॉल के तहत मध्यस्थता और मेडिएशन को एकीकृत करने की पहल को भी उन्होंने सराहा. यह प्रक्रिया गोपनीय और तटस्थ है, और इसके तहत प्राप्त समझौते को न्यूयॉर्क कन्वेंशन के तहत 170 से अधिक देशों में लागू किया जा सकता है.

भारत में संस्थागत मध्यस्थता के लिए प्रेरणा

जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि SIAC के ये नवाचार भारतीय संस्थानों के लिए प्रेरणा हैं. भारत को भी विश्वस्तरीय मध्यस्थता ढांचा विकसित करने, प्रशिक्षित मध्यस्थों की संख्या बढ़ाने और न्यायिक हस्तक्षेप कम करने की दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने भारत की मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 का उल्लेख किया, जो समयबद्धता और दक्षता को बढ़ावा देता है. मुख्य न्यायाधीश ने जोर दिया कि SIAC नियमों से भारत में निवेश और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा.

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