पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर देश के निर्वाचन आयोग पर खैबर-पख्तूनख्वा व पंजाब प्रांतों में चुनाव कराने का दबाव डालने को लेकर गठबंधन सरकार के मंत्रियों के निशाने पर आ गए हैं. खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ से संबंध रखने वाले राष्ट्रपति अल्वी ने शनिवार को पाकिस्तान के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा को दोनों विधानसभाओं के लिए चुनाव की तारीखों पर चर्चा करने के वास्ते 20 फरवरी को होने वाली एक आपात बैठक के लिए आमंत्रित किया.
अलग-अलग बयान जारी कर राष्ट्रपति की आलोचना
राष्ट्रपति ने इससे पहले आठ फरवरी को पाकिस्तान निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा था, जिस पर कोई जवाब नहीं मिलने के बाद दोबारा पत्र लिखा गया. दूसरे पत्र में, राष्ट्रपति ने निर्वाचन आयोग की ओर से “उदासीनता और निष्क्रियता” पर नाराजगी व्यक्त की.
पाकिस्तान के गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और कानून मंत्री ने अलग-अलग बयान जारी कर राष्ट्रपति की आलोचना की और उन्हें उनकी संवैधानिक स्थिति की याद दिलाई.
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आरिफ अल्वी को पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में काम करना चाहिए
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने गृह मंत्री राणा सनाउल्ला के हवाले से कहा, “आरिफ अल्वी को पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में काम करना चाहिए. आपको इमरान खान के प्रवक्ता के तौर पर काम नहीं करना चाहिए.” उन्होंने कहा, “चुनाव तारीखों के ऐलान से राष्ट्रपति का कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए.”
नेता के निर्देश पर निर्वाचन आयोग की आलोचना नहीं करनी चाहिए
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी चुनाव मामलों में “हस्तक्षेप” को लेकर राष्ट्रपति की आलोचना की आसिफ ने ट्वीट किया, “श्रीमान आरिफ अल्वी, अपनी संवैधानिक मर्यादाओं में रहें। राजनीति न करें. अपने नहीं तो अपने पद के सम्मान के बारे में सोचिए.” कानून एवं न्याय मंत्री आजम नजीर तरार ने राष्ट्रपति को याद दिलाया कि संविधान उन्हें प्रांतीय विधानसभा चुनावों की तारीख देने के लिए अधिकृत नहीं करता. उन्होंने कहा कि अल्वी को अपने नेता के निर्देश पर निर्वाचन आयोग की आलोचना नहीं करनी चाहिए.
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