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खाद्य सुरक्षा की दिशा में भारत सरकार का कदम

सहकारी समितियों के क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना के लिए भारत सरकार कृषि क्षेत्र में नीति लाने की घोषणा करने जा रही है.

सहकारी समितियों के क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना के लिए भारत सरकार कृषि क्षेत्र में नीति लाने की घोषणा करने जा रही है. दूसरी ओर, उसने सहकारी क्षेत्र में 1,100 नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन की घोषणा की है. विकास उन कई उपायों में से एक है जो सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कर रही है केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सहकारी क्षेत्र में प्रस्तावित योजना को दुनिया का सबसे बड़ा खाद्यान्न भंडारण कार्यक्रम करार देने की घोषणा की. इसके तहत सरकार लगभग 1 रुपये का आवंटन करेगी.

इस योजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक में 2,000 टन क्षमता का एक गोदाम बनाया जाएगा. इसके लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति बनाई जाएगी. यह देश में खाद्यान्न भंडारण सुविधाओं के विस्तार की योजना का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि इससे सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. कार्यक्रम का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में भारत की खाद्यान्न भंडारण क्षमता को 700 लाख टन तक बढ़ाना है. अभी देश में अनाज भंडारण क्षमता करीब 1450 लाख टन है. अगले पांच साल में भंडारण का विस्तार 2,150 लाख टन हो जाएगा.

इस कदम का उद्देश्य भंडारण की कमी के कारण खाद्यान्न के नुकसान को कम करना, किसानों द्वारा संकट की बिक्री की जांच में मदद करना, आयात पर निर्भरता कम करना और ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर पैदा करना है. यह भारत में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देगा, इसके अलावा किसानों को अपने माल के लिए बेहतर कीमतों का एहसास कराने में मदद करेगा.

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दूसरी ओर, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा ’10 , 000 एफपीओ के गठन और संवर्धन ‘ योजना के तहत 1,100 अतिरिक्त एफपीओ  को 1,100 अतिरिक्त एफपीओ का लक्ष्य आवंटित किया गया है. सरकार द्वारा वर्ष 2020 में 6,865 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ 1,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और प्रचार शुरू किया गया था. इस पहल के पीछे का उद्देश्य पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाना, उत्पादन की लागत कम करना और किसानों की आय में वृद्धि करना था. एफपीओ योजना के तहत प्रत्येक एफपीओ को 33 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

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