Bharat Express

“लाले…कैसा है तू?”, अभिनेता दिलीप कुमार ने जब बिस्‍तर पर लेटे आनंद बख्शी का लिया हाल-चाल, पढ़िए यादगार किस्‍सा

हिंदी सिनेमा के ट्रैजेडी किंग कहे जाने वाले दिलीप कुमार से आनंद बख्शी की दोस्‍ती के कई किस्‍से सुनाए जाते हैं. आनंद बहुत लोकप्रिय भारतीय कवि और फ़िल्मी गीतकार थे. उनका जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी में हुआ था.

dilip kumar and anand bakshi

तस्वीर में सिने स्टार दिलीप कुमार और गीतकार आनंद बक्शी दिख रहे हैं.

Indian Poet Lyricist Anand Bakshi: अभिनेता दिलीप कुमार और गीतकार आनंद बख्शी की दोस्‍ती के बारे में आपने सुना है? उन दोनों में खास लगाव था. 21 जुलाई को आनंद बख्शी की जयंती थी, इस अवसर पर बहुत-से लोगों ने उन्‍हें याद किया. एक यादगार किस्‍सा आनंद बख्शी से मिलने पहुंचे अभिनेता दिलीप कुमार का भी है. बरसों पहले जब आनंद बख्शी अपने जिंदगी के अंतिम दौर थे, उनकी तबियत बहुत ज़्यादा खराब थी. वह बिस्‍तर पर लेटे रहते थे.

उन दिनों दिलीप कुमार उनसे मिलने पहुंचे. जैसे ही दिलीप कुमार उनके कमरे में घुसे तो उन्हें देखते ही वो बोले,”लाले, कैसा है तू?”. सामने आनंद बख्शी बिस्तर पर पड़े थे. उनकी हालत देखकर कहा जा सकता था कि वे मृत्युशैय्या पर थे. वे काफी कमज़ोर हो चुके थे. मगर, दिलीप कुमार को देखकर वो उठने की कोशिश करने लगे.

बीमार आनंद के बेड पर लेटे दिलीप कुमार

दिलीप कुमार ने जब गौर किया कि आनंद बख्शी उठकर बैठने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो उनसे बोले,”ओ तू मेरे कोल नी आ सकदा. मैं तेरे कोल आ रहा हूं.” दिलीप कुमार ने अपने जूते उतारे और वो आनंद बख्शी के बिस्तर पर चढ़े. फिर उन्होंने कुछ ऐसा किया जो देखकर कमरे में मौजूद आनंद बख्शी के पुत्र राकेश बख्शी की आंखें नम हो गईं. दिलीप कुमार आनंद बख्शी के बराबर में लेट गए और उन्होंने आनंद बख्शी को गले से लगा लिया.

वो मुलाकात खत्म करके जब दिलीप कुमार वहां से चले गए तो राकेश बख्शी ने अपने पिता आनंद बख्शी से कहा कि दिलीप साहब तो बड़े महान आदमी हैं. आनंद बख्शी ने बेटे से कहा,”वो हमेशा से ही ऐसे हैं.” फिर आनंद बख्शी ने बेटे को एक बहुत पुराना किस्सा सुनाया. वो घटना 1965 के किसी दिन घटी थी. शशि कपूर और नंदा की फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ ब्लॉकबस्टर हो चुकी थी. उस साल की दूसरी सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म थी ‘जब जब फूल खिले’. फिल्म का संगीत ज़बरदस्त हिट हुआ था जिसे कल्याणजी-आनंदजी ने कंपोज़ किया था, और सभी गीत आनंद बख्शी ने लिखे थे.

dilip kumar and anand bakshi image

‘जब-जब फूल खिले’ फिल्‍म के बाद की कहानी

फिल्म के सभी प्रमुख कलाकारों को सम्मानित करने के लिए मुंबई के शन्मुखानंद हॉल में एक समारोह का आयोजन किया गया था. स्टेज पर सभी लोग बैठे थे. दिलीप कुमार उस समारोह के चीफ गेस्ट थे. आनंद बख्शी को यूं तो तब तक 8-9 साल हो चुके थे काम करते-करते. लेकिन ‘जब-जब फूल खिले’ उनकी पहली हिट फिल्म थी. स्टेज पर आनंद बख्शी की कुर्सी सबसे कोने में थी. दिलीप साहब सहित स्टेज पर मौजूद सभी लोगों को फूलों का गुलदस्ता देकर सम्मानित किया गया. लेकिन आनंद बख्शी को कोई गुलदस्ता नहीं मिला. कुछ देर बाद दिलीप कुमार ने नोटिस किया कि सभी के हाथ में गुलदस्ता है, लेकिन आनंद बख्शी के पास नहीं है.

दिलीप कुमार को भी एक गुलदस्ता दिया गया था. वो गुलदस्ता हाथ में लिए दिलीप साहब आनंद बख्शी के पास आए और उनसे पूछा, “तुम आनंद बख्शी हो ना? इस फिल्म के गीत तुम्हीं ने लिखे हैं ना?”

आनंद बख्शी बोले,”हां जी. मैं आनंद बख्शी हूं.” तब दिलीप साहब ने उनसे पूछा,”तुम्हारे हाथ में बुके क्यों नहीं है?” ”शायद खत्म हो गया होगा”, आनंद बख्शी ने जवाब दिया.

Dilip Kumar2

जब दिलीप कुमार की बात से आनंद को हुई हैरानी

दिलीप साहब ने अपना बुके आनंद बख्शी को थमाते हुए कहा,”तुम इस इंडस्ट्री में नए हो. लोग कहते हैं कि मैं तो स्टार हूं. इसलिए अगर मेरे हाथ में बुके नहीं है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन तुम्हारे हाथ में बुके होना बहुत ज़रूरी है. मेरा ये बुके तुम रख लो.” वो बुके थमाकर दिलीप कुमार वापस अपनी सीट पर जाकर बैठ गए. आनंद बख्शी हैरान थे. वो कुछ देर तक यूं ही दिलीप कुमार को देखते रहे. उनकी नज़रों में दिलीप कुमार के लिए इज़्जत कई गुना बढ़ गई.

ब्रिटिश भारत के रावलपिंडी में हुआ था इनका जन्‍म

21 जुलाई 1930 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे आनंद बख्शी जब पांच वर्ष के थे तो उनका परिवार दिल्ली आ गया था. 1947 में भारत-पाक बंटवारे के दौरान उनका परिवार लखनऊ आ बसा था. बाद में आनंद बख्शी ने मुंबई का रूख किया. उन्होंने कई प्रमुख फिल्‍मों के लिए काम किया.

Anand Bakshi image

-भारत एक्सप्रेस

Also Read