
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में मुश्लिम पक्ष की ओर से याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 8 अप्रैल को सुनवाई करेगा. कोर्ट हिंदू पक्ष के इस दावे की जांच करवाएगा कि विवादित ढांचा एक एएसआई संरक्षित स्मारक है. सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुश्लिम पक्ष की ओर से दायर एक अन्य याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
सीजेआई संजीव खन्ना ने की टिप्पणी
सीजेआई संजीव खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि चूकिं मस्जिद समिति अपने बचाव में पूजा स्थल अधिनियम 1991 के प्रावधान पर निर्भर है, इसलिए मूल वादी कानून के अनुसार एएसआई और केंद्र को पक्षकार बनाने की मांग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता है. मुश्लिम पक्ष के पहली याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.
हिंदू पक्ष की ओर से एडवोकेट विष्णु जैन ने उठाई आपत्ति
मामले की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से एडवोकेट विष्णु जैन ने कोर्ट में कहा कि विवादित ढांचे का संरक्षण आर्किलॉजिकल सर्वे कर रहा है, इसलिए वहां मस्जिद नहीं हो सकती है. इस स्थान पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है. दूसरी याचिका में मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सभी 18 केसों की सुनवाई एक साथ के संबंधित दायर याचिका को खारिज करने के बाद दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि सभी 18 केसों को क्लब करने के खिलाफ दायर याचिका पर फिर से सुनवाई शुरू की जाए, जिसपर कोर्ट ने हिन्दू पक्ष सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
विष्णु शंकर जैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
बता दें कि विष्णु शंकर जैन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि विवादित स्थल प्राचीन स्मारक घोषित है. इसकी देखरेख व प्रबंधन एएसआई करती है. इसलिए एएसआई और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया जाए, जिसे हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. जिसके खिलाफ मुश्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुचा है. अधिवक्ता हरिशंकर जैन की तरफ से दाखिल अर्जी में कहा गया था कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत 27 दिसंबर 1920 में अधिसूचना आधिकारिक गजट में प्रकाशित की गई थी. इसमें विवादित संपत्ति को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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