पीएम नरेंद्र मोदी
Opposition leaders Letter: दिल्ली, पश्चिम बंगाल और पंजाब के मुख्यमंत्रियों समेत नौ विपक्षी दलों के नेताओं ने पांच मार्च (रविवार) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त रूप से एक पत्र लिखकर विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसी का ‘‘खुल्लम खुल्ला दुरुपयोग’’ किए जाने का आरोप लगाया है.
इस पत्र पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू-कश्मीर) के नेता फारूक अब्दुल्ला, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने हस्ताक्षर किए हैं.
‘हम लोकतंत्र से निरंकुशता में आ गए हैं’
विपक्षी दलों के नेताओं ने पत्र में कहा है कि, ‘‘विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसी का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग यह दर्शाता है कि हम लोकतंत्र से निरंकुशता में आ गए हैं. चुनावी मैदान के बाहर बदला लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों का दुरुपयोग घोर निंदनीय है क्योंकि यह हमारे लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है.’’
‘सिसोदिया पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार हैं’
दिल्ली आबकारी नीति में अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किए जाने का जिक्र करते हुए नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता के खिलाफ लगाए गए आरोप ‘‘पूरी तरह निराधार और एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा’’ हैं. उन्होंने दावा किया कि सिसोदिया की गिरफ्तारी से पूरे देश में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्कूली शिक्षा को बदलने के लिए सिसोदिया को वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता है.
‘भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को निरंकुश भाजपा शासन में खतरा है’
इन नेताओं ने कहा कि सिसोदिया की गिरफ्तारी को दुनिया भर में राजनीतिक प्रतिशोध के एक उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाएगा और इस घटना से दुनिया के इस संदेह की पुष्ट होती है कि ‘‘भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को निरंकुश भाजपा शासन में खतरा है’’. उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेताओं शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का उदाहरण देते हुए दावा किया कि जांच एजेंसी भाजपा में शामिल हुए पूर्व विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों में धीमी गति से काम करती हैं.