विदेश मंत्री एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत चीन की ओर से मिल रही जटिल चुनौतियों का सामना कर रहा है. नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में यथास्थिति को एकतरफा बदलने का कोई भी प्रयास न हो सके.
संतुलन बना कर आगे बढ़ रहे दोनों देश
उन्होंने कहा कि यह चुनौती पिछले तीन वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में बहुत ही स्पष्ट रूप से दिख रही है. दोनों देशों को आपसी संबंधों को बनाए रखने के लिए एक संतुलन बनाकर आगे बढ़ना होगा, लेकिन यह दूसरे पक्ष की शर्तों पर नहीं हो सकता है. वे अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी में मोदी का भारत : एक उभरती ताकत विषय पर बोल रहे थे.
चीन हमारे सामने विशेष चुनौती- विदेश मंत्री
उन्होंने कहा कि यदि किसी भी तरह से शांति भंग होती है तो दोनों देशों के संबंध प्रभावित होंगे. जब मैं बड़ी शक्तियों के बारे में बात करता हूं तो निश्चित रूप से चीन हमारे सामने एक विशेष चुनौती है. पिछले तीन वर्षों में यह सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष रूप से दिखाई भी दे रही है. विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों को किसी भी तरह से संतुलन बनाना होगा. पिछली सभी सरकारों ने अपने-अपने स्तर से संतुलन बनाने का प्रयास किया है. लेकिन यह संतुलन दूसरे पक्ष की शर्तों पर नहीं हो सकता. ऐसा दोनों तरफ से होना चाहिए। एक दूसरे का सम्मान और संवेदनशीलता आपसी रिश्ते का आधार होना चाहिए.
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चीन से बेहतर संबंधों के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा कि यदि आप मेरा सम्मान नहीं करते, यदि आप मेरी चिंताओं के प्रति संवेदनशील नहीं हैं, यदि आप मेरे हितों की उपेक्षा करते हैं तो हम लंबे समय तक एक साथ कैसे चल सकते हैं. यदि ऐसा नहीं होता है तो हमें अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की जरूरत है. हमें विरोध जताने की आवश्यकता है. दुर्भाग्य से वर्तमान में यही स्थिति है.
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