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कैबिनेट ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए ₹22,919 करोड़ की योजना को मंजूरी दी

Electronics manufacturing: केंद्र सरकार ने भारत में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ₹22,919 करोड़ की योजना को मंजूरी दी है. इस योजना का मकसद घरेलू और विदेशी कंपनियों को भारत में निर्माण इकाइयाँ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है.

New Delhi: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को भारत में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ₹22,919 करोड़ (लगभग $2.7 बिलियन) की योजना को मंजूरी दी है. इस योजना का मकसद घरेलू और विदेशी कंपनियों को भारत में निर्माण इकाइयाँ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है. सरकार इन प्रोजेक्ट्स पर 50% तक की सब्सिडी देगी.

सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की मंजूरी के बाद बताया कि यह योजना छह साल तक चलेगी. इसका उद्देश्य $7 बिलियन (₹59,350 करोड़) का निवेश आकर्षित करना है. इससे करीब $53.5 बिलियन (₹4.6 लाख करोड़) के उत्पाद बनाए जा सकेंगे. इस योजना से करीब 91,600 नए रोजगार मिलने की उम्मीद है.

योजना के तहत कुछ खास क्षेत्रों पर जोर दिया गया है. इनमें डिस्प्ले और कैमरा मॉड्यूल का सब-असेंबली, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, लिथियम-आयन बैटरी सेल और मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर के कवर शामिल हैं. हर केटेगरी के लिए कंपनियों को टर्नओवर टारगेट दिए जाएंगे. इन्हीं के आधार पर उन्हें इंसेंटिव मिलेगा. यह इंसेंटिव भारत की सेमीकंडक्टर स्कीम के मॉडल पर तय किया जाएगा.

सरकार उन उपकरणों और मशीनों के निर्माण को भी बढ़ावा देगी, जो इन कंपोनेंट्स के निर्माण में इस्तेमाल होंगे. इसके लिए पूंजीगत खर्च पर आधारित सब्सिडी दी जाएगी. हालांकि, इस पर सब्सिडी 50% से कम होगी.

₹500 अरब डॉलर का लक्ष्य

कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री वैष्णव ने कहा कि कंपनियों को न्यूनतम निवेश की शर्तों को भी पूरा करना होगा. उन्होंने बताया कि सरकार लेबर, कस्टम्स और टैक्स से जुड़े सुधारों पर भी काम कर रही है, ताकि इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को और बढ़ावा मिल सके.

उन्होंने बताया कि बीते 10 सालों में भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में 20% वैल्यू एडिशन हासिल किया है. अब इसका लक्ष्य अगले पांच साल में इसे दोगुना करना है. एक्टिव कंपोनेंट्स सेमीकंडक्टर मिशन से आएंगे, जबकि पैसिव कंपोनेंट्स के लिए यह नई योजना मदद करेगी.

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि फिलहाल भारत में हर साल $120 बिलियन की इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन हो रहा है. लक्ष्य है कि 2030 तक यह आंकड़ा $500 बिलियन तक पहुँच जाए.

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

इस फैसले का इंडस्ट्री ने स्वागत किया है. ज़ेटवर्क कंपनी के इलेक्ट्रॉनिक्स प्रमुख जोश फॉल्गर ने कहा कि वे इस स्कीम को लेकर उत्साहित हैं और मजबूत कंपोनेंट इकोसिस्टम बनाने के लिए सहयोग को तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि यह स्कीम उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स, नवाचार और रोजगार बढ़ाएगी

एचसीएल टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक और एपिक फाउंडेशन के चेयरमैन अजय चौधरी ने कहा कि यह स्कीम भारत में सिस्टम प्रोडक्ट्स में निवेश को बढ़ाएगी. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कंपोनेंट्स से ‘जस्ट इन टाइम’ मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि अब देश को ‘डिज़ाइन इन इंडिया’ स्कीम का भी इंतज़ार है, जो चिप्स और सिस्टम्स के डिजाइन को बढ़ावा देगा और पूरी इकोसिस्टम को मजबूत बनाएगा.

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-भारत एक्सप्रेस 



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