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जनऔषधि केन्द्रों से 10 साल में हुई ₹30,000 करोड़ की बचत, 15,000 से ज्‍यादा केन्द्र खुले; 10 हजार और खोलने की योजना

Modi Government News: जन औषधि केन्द्रों ने 10 वर्षों में नागरिकों को 30,000 करोड़ रुपये की बचत दिलाई. फिलहाल 15,057 केन्द्र संचालित हो रहे. सरकार का 20,000 तक विस्तार करने का लक्ष्य. दवाइयाँ 50-80% सस्ती मिल सकेंगी.

Vijay Ram Edited by Vijay Ram

Jan Aushadhi Kendras: प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि योजना (PMBJP) के तहत सरकार ने मार्च 2025 की समयसीमा से दो महीने पहले ही 15,000 जन औषधि केन्द्रों (JAKs) की स्थापना का लक्ष्य पूरा कर लिया है. 28 फरवरी तक देशभर में कुल 15,057 केन्द्र खुल चुके हैं.

सरकार ने अब 2026 मार्च तक जन औषधि केन्द्रों की संख्या 20,000 और 2027 मार्च तक 25,000 तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.

सस्ते दामों पर मिल रहीं दवाइयां

इस योजना के तहत दवाइयाँ ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में 50% से 80% तक सस्ती हैं. वर्तमान में इस योजना में 2,047 दवाइयाँ और 300 सर्जिकल उत्पाद उपलब्ध हैं.

हजारों करोड़ रुपयों की बचत

वित्तीय वर्ष 2024-25 में 28 फरवरी तक जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से 1,767.18 करोड़ रुपये की दवाइयाँ बिकीं, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 33% अधिक है. पिछले 10 वर्षों में इस योजना के जरिए 6,975 करोड़ रुपये की दवाइयाँ बिकीं, जिससे नागरिकों को लगभग 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है.

प्रबंधन प्रणाली और वितरण नेटवर्क

दवाइयों के वितरण और आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाए रखने के लिए एक केंद्रीकृत आईटी-सक्षम प्रणाली का उपयोग किया जाता है. इसमें गुरुग्राम में एक केंद्रीय गोदाम और बेंगलुरु, चेन्नई, सूरत और गुवाहाटी में चार क्षेत्रीय केन्द्र शामिल हैं.

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