प्रतीकात्मक तस्वीर
MUTUAL FUND : अगर आप म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो ये खबर आपके लिए हैं. दरअसल SEBI म्युचुअल फंड से जुडी एक नई कैटेगरी बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. अगर ये प्रस्ताव पास हो गया तो इसका असर सीधे निवेशकों के मुनाफे पर पड़ेगा, क्योंकि इसके लागू होने के बाद एसेट मैनेजर्स फंड की परफार्मेंस के हिसाब से अपनी फीस वसूलेंगे. सेबी चाहता है कि जो फंड बेचमार्क इंडेक्स से बेहतर परफार्म करेगा उसके लिए फंड मैनेजर ज्यादा फीस वसूल सकते हैं. इस नियम के आने के साथ म्युचुअल फंड पर लगने वाली बेसिक फीस तो कम हो जाएगी लेकिन फंड मैनेजर परफार्मेंस के हिसाब से पीस वसूल करने के लिए फ्री होंगे.
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बेहतर परफार्मेंस के लिए हो रही है कवायद –
दरअसल सेबी ( SEBI ) ये कदम उठा रहा है ताकि फंड बेहतर परफार्म करें. देखा जाता है कि कुछ फंड्स ( MUTUAL FUND ) को एक्टिवली मैनेज करने की जरूरत होती है क्योंकि उनका परफार्मेंस कमजोर होता है. ऐसे फंड्स पर अगर परफार्मेंस के हिसाब से चार्ज मिलेगा तो फंड मैनेजर्स ( FUND MANAGERS ) इनको ज्यादा बेहतर तरह से मैनेज करने के लिए प्रोत्साहित होंगे और इस तरह से इन फंड्स की परफार्मेंस सुधरने के चांसेज रहेंगे. फिलहाल इस प्रपोजल को सेबी के म्युचुअल फंड पैनल को भेज दिया गया है.
म्युचुअल फंड में पारदर्शिता की जरूरत-
आपको बता दें कि सेबी प्रमुख माधुरी पुरी बुच ने कहा था कि म्युचुअल फंड्स जिस तरह के चार्ज वसूल करते हैं उनमें पारदर्शिता लाने की जरूरत है. आज की तारीख में म्युचुअल फंड कंपनियां लगभग 40 लाख करोड़ रुपए फीस के रूप में कमाती हैं. एसेट मैनेजमेंट कंपनियां टोटल एक्सपेंस रेशियो के रूप में चार्ज वसूल करती है जो निवेश राशि का 0-2.5 फीसदी तक होता है. ये फंड मैनेज करने की फीस होती है लेकिन वक्त से पहले एग्जिट करने पर भी कंपनियों को फंड मैनेजर्स को फी पे करनी होती है.
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