
भारतीय सेना
भारत की रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तहत कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने लगभग ₹7000 करोड़ की लागत से एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को मंजूरी दे दी है. यह निर्णय देश में तोप निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा. ATAGS पहली स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित 155 मिमी आर्टिलरी गन है, जो भारतीय सशस्त्र बलों की संचालन क्षमता को अत्याधुनिक तकनीक और शक्तिशाली अग्नि शक्ति के साथ बढ़ाएगी.
ATAGS एक 52-कैलिबर बैरल वाली उन्नत तोप प्रणाली है, जो 40 किमी तक की मारक क्षमता रखती है. इसकी उच्च घातकता, अधिक विस्फोटक भार वहन क्षमता और स्वचालित तैनाती इसे एक अत्यधिक प्रभावी हथियार बनाती है. इस मंजूरी के माध्यम से भारत की रक्षा निर्माण और तकनीकी विशेषज्ञता को एक नई मजबूती मिली है.
‘मेक इन इंडिया’ के तहत निजी उद्योगों की बड़ी भागीदारी
ATAGS को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय निजी उद्योगों के सहयोग से विकसित किया गया है. इसके 65% से अधिक घटक देश में ही निर्मित हैं, जिनमें बैरल, muzzle brake, ब्रिच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम, तथा गोला-बारूद संचालन प्रणाली शामिल हैं.
यह परियोजना न केवल भारत के रक्षा उद्योग को मजबूत करेगी बल्कि विदेशी आयात पर निर्भरता भी कम करेगी, जिससे देश की रणनीतिक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी.
रणनीतिक और सामरिक को लाभ
ATAGS की तैनाती पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर की जाएगी, जहां यह भारतीय सेना के पुराने 105 मिमी और 130 मिमी तोपों की जगह लेगी. यह सेना को बेहतर युद्धक क्षमता, तेजी से लक्ष्य भेदन और मजबूत रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगा.
पूरी तरह से स्वदेशी प्रणाली होने के कारण, ATAGS के लिए स्थानीय स्तर पर ही कल-पुर्जों की उपलब्धता और रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा. इससे दीर्घकालिक उत्पाद समर्थन मिलेगा और भारत की रक्षा तकनीकी आत्मनिर्भरता को और मजबूती मिलेगी.
विदेशी आयात पर निर्भरता में कमी
ATAGS के अधिकांश महत्वपूर्ण घटक, जैसे नेविगेशन सिस्टम, Muzzle Velocity Radar और सेंसर, भारत में ही विकसित किए गए हैं. इससे विदेशी तकनीक और आयात पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी.
रोजगार और रक्षा निर्यात को बढ़ावा
ATAGS की स्वीकृति और निर्माण से करीब 20 लाख मानव-दिवस का रोजगार उत्पन्न होगा. साथ ही, इस उपलब्धि से भारत के वैश्विक रक्षा निर्यात बाजार में प्रवेश की संभावनाएं भी बढ़ेंगी, जिससे भविष्य में स्वदेशी रक्षा उत्पादों के निर्यात को मजबूती मिलेगी.
-भारत एक्सप्रेस
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