कृति वर्मा अभिनेत्री बनने से पहले एक आयकर अधिकारी थीं
kriti verma: आयकर अधिकारी (Income Tax Officer) से अभिनेत्री बनी कृति वर्मा इन दिनों काफी सुर्खियों में है. दरअसल, उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 263 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच शुरू कर दी है. कृति वर्मा पर आरोप है कि आयकर विभाग से टैक्स रिफंड जारी करने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले और ऐसे ही अपराध में शामिल प्रमुख अभियुक्तों के साथ उनके संबंध हैं. अब ईडी (ED) ने कृति को पूछताछ के लिए तलब किया है.
बता दें कि पिछले साल केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने आयकर विभाग के एक वरिष्ठ कर (टैक्स) सहायक तानाजी मंडल अधिकारी, पनवेल के कारोबारी भूषण अनंत पाटिल समेत कई लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी से टैक्स रिफंड जारी करने के मामले में केस दर्ज किया था. जिसमें आकलन साल 2007 से 2008 और 2008 से 2009 के लिए फर्जी रिफंड जारी करने की शिकायत की गई थी. उसी FIR के आधार पर ED ने पीएमएलए (PMLA) के तहत जांच शुरू की है.
‘डांस परफॉर्म के भुगतान में मिले थे 1 करोड़ रुपये’
ईडी का कहना है कि ज्यादातर अवैध धन भूषण पाटिल के खाते में भेजा गया था और एक हिस्सा संपत्ति खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया था. जो प्रॉपर्टी खरीदी गई, उनमें से कुछ कृति वर्मा के नाम पर भी थी लेकिन कृति वर्मा ने इन आरोपों को खारिज कर किया है. उनका कहना है कि पाटिल के साथ उनके रिश्ते में आने से पहले उन्होंने एक डांस परफॉर्म किया था. उस परफॉर्मेंस का भुगतान उन्हें 1 करोड़ रुपये का किया गया था.
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उन्होंने आगे कहा कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में आरोपी के खिलाफ प्रासंगिक जानकारी प्रदान करके मैंने एजेंसियों की मदद की है. कृति वर्मा का कहना है कि अपराध होने के बाद, 2020 के अंत में एक डांस शो के दौरान पाटिल से मिलने के बाद उनका पाटिल के साथ रिलेशन बना. कृति ने दावा किया कि धोखाधड़ी के बारे में जानने के 6 महीने के अंतर वह भूषण पाटिल से अलग हो गई थीं. ईडी ने अस्थायी रूप से उनकी संपत्ति कुर्क की है.
तानाजी मंडल उस समय वरिष्ठ कर सहायक के पद पर था
खबरों के मुताबिक आई-टी इंस्पेक्टर तानाजी मंडल अधिकारी ने पाटिल के साथ मिलकर किया था. तानाजी मंडल उस समय वरिष्ठ कर सहायक के पद पर था. उसने अधिकारियों का विश्वास हासिल किया और उनके लॉग-इन क्रेडेंशियल्स और पासवर्ड का पता लगाया. उसने उनका इस्तेमाल पाटिल की कंपनी के एक खाते में वास्तविक और फर्जी टीडीएस रिफंड दावों को निपटाने के लिए किया.
नवंबर 2019 से नवंबर 2020 तक अधिकारी ने 264 करोड़ रुपये के 12 फर्जी टीडीएस रिफंड को मंजूरी दी थी. अधिकारी को 2021 में आई-टी इंस्पेक्टर के रूप में पदोन्नत भी किया गया था. वह उस समय बेनकाब हो गया था जब एक सरकारी खाते से ठगी गई राशि को ट्रांसफर करने वाले बैंक ने इसकी शिकायत की थी.
– भारत एक्सप्रेस