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Dr. B.R. Ambedkar Jayanti: डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने दिया स्मृति व्याख्यान

Dr. Ambedkar First Memorial Lecture: डॉ. अंबेडकर की 134वीं जयंती पर DAIC में पहला स्मृति व्याख्यान आयोजित हुआ. जस्टिस गवई ने कहा- “आज मैं जो भी हूं, वह महान व्यक्तित्व डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान की देन है.”

First Dr. Ambedkar Memorial Lecture Held at DAIC, Justice Gavai Pays Tribute
Vijay Ram Edited by Vijay Ram

Bhim Auditorium, 15 Janpath, New Delhi-01: संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर (DAIC) द्वारा पहले डॉ. अंबेडकर स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया. यह ऐतिहासिक आयोजन 14 अप्रैल 2025 को शाम 6 बजे से नई दिल्ली स्थित भीम हॉल, DAIC में हुआ.

इस व्याख्यान में सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अंबेडकर के विचारों, उनके योगदान और उनकी सामाजिक दृष्टि पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम की अध्यक्षता DAIC निदेशक डॉ. आकाश पाटिल द्वारा की गई.

डॉ. अंबेडकर का बहुआयामी व्यक्तित्व

न्यायमूर्ति गवई ने अपने व्याख्यान में कहा कि डॉ. अंबेडकर न केवल संविधान निर्माता थे, बल्कि वे एक महान अर्थशास्त्री, समाज सुधारक, शिक्षाविद, विधिवेत्ता और समाजशास्त्री भी थे. उन्होंने बताया कि डॉ. अंबेडकर ने मराठवाड़ा जैसे पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा के लिए संस्थाएं स्थापित कीं, जिससे वंचित वर्गों को शिक्षा का अधिकार मिला.

महिलाओं और वंचित वर्गों के लिए संघर्ष

न्यायमूर्ति गवई ने उल्लेख किया कि डॉ. अंबेडकर महिलाओं की स्थिति को लेकर विशेष रूप से चिंतित थे. उन्होंने कहा कि “भारत में महिलाएं दलितों से भी अधिक उत्पीड़ित हैं” — और उनका उत्थान भी समाज सुधार की प्राथमिकता होनी चाहिए.

आज देश में दलितों, पिछड़े वर्गों और महिलाओं ने ऊँचाइयाँ हासिल की हैं — जैसे कि दलितों में से भारत के मुख्य न्यायाधीश, सैकड़ों IAS-IPS अफसर, और एक महिला प्रधानमंत्री का होना, यह सब डॉ. अंबेडकर और संविधान की देन है.

न्यायमूर्ति गवई के निजी अनुभव में भावुकता

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि उनके पिता ने डॉ. अंबेडकर के साथ काम किया था और सामाजिक न्याय के संघर्ष में उनका साथ दिया. उन्होंने भावुक होकर कहा, “मैं आज जो कुछ भी हूं, वह डॉ. अंबेडकर और भारतीय संविधान की वजह से हूं.”

व्याख्यान के बाद धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. उपस्थित जनसमूह ने डॉ. अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

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