सीएम सिद्धारमैया और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी (फाइल फोटो)
Karnataka: कर्नाटक में नया बवाल मच गया है. यहां हिंदू कार्यकर्ता श्रीकांत पुजारी को कोर्ट से राहत मिलने के बाद भी सियासी बवाल जारी है. इसको लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर निशाना साधा है. प्रह्लाद जोशी का कहना है कि सीएम कि सिद्धारमैया कर्नाटक सरकार को ISIS की तरह सरकार चला रहा है. उन्होंने कहा है कि जैसे अफगानिस्तान में तालिबान सरकार चलाता है, ठीक वैसे ही सिद्धारमैया सरकार चला रहे हैं. गौरतलब है कि 31 साल पुराने केस में श्रीकांत पुजारी की गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन अब उन्हें सशर्त जमानत मिल गई है, लेकिन इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया घिर गए हैं.
इस मामले में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि श्रीकांत पुजारी के खिलाफ 16 मामले लंबित थे. लेकिन, क्या अब सिद्धारमैया माफी मांगेंगे? जिन्होंने आपको बताया कि 16 मामले लंबित हैं, उसके खिलाफ आप क्या कार्रवाई करेंगे. एक समुदाय को खुश करने के लिए आप किस हद तक एक समुदाय को निशाना बनाने जा रहे हैं? यह तुष्टिकरण का प्रतीक है.
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कर्नाटक सरकार पर बरसे केंद्रीय मंत्री
प्रह्लाद जोशी ने कर्नाटक की सरकार के काम करने के रवैए पर सवाल खड़े करते हुए कहा हि कि कर्नाटक की सरकार ISIS की तरह चल रही है. जैसे अफगानिस्तान में तालिबान अपनी सरकार चला रहा है. सिद्धारमैया इसी तरह कर्नाटक में अपनी सरकार चला रहे हैं. गौरतलब है कि हुबली के हिंदू कार्यकर्ता श्रीकांत पुजारी को कोर्ट से राहत मिल गई है. अदालत ने श्रीकांत पुजारी को सशर्त जमानत दे दी है.
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सशर्त मिली है जमानत
बता दें कि कर्नाटक पुलिस ने 1992 के हुबली दंगा मामले में श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार किया था. उसकी गिरफ्तारी के विरोध में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने बुधवार को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था. कोर्ट ने श्रीकांत पुजारी को जमानत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर सभी सुनवाई तिथियों पर संबंधित न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना होगा.
इसके साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता अभियोजन पक्ष के गवाहों को धमकी नहीं देगा और साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा. साथ ही कहा कि वह खुद को समान प्रकृति के किसी भी अपराध में शामिल नहीं करेगा. याचिकाकर्ता पूर्व अनुमति के बिना संबंधित न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं छोड़ेगा.
-भारत एक्सप्रेस