कल-कल कर बहती सोत नदी
मुजम्मिल दानिश
UP News: उत्तर प्रदेश से संभल सहित कई जिलों में बहने वाली सोत नदी न जाने कब ही लुप्त हो गई थी, लेकिन उसे लोगों ने मिलकर पुनर्जीवित कर दिया है और आस-पास पेड़ लगाकर फिर से हरा-भरा कर दिया है. जनता और प्रशासन की इस मुहिम को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” में मुख्य रूप से उठाया और इस कार्य को करने वाले लोगों की जमकर प्रशंसा की. साथ ही कहा कि, सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों पर विजय पा सकते हैं और बड़ा बदलाव ला सकते हैं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के जनपद संभल में जिला प्रशासन और यहां के लोगों ने अतिक्रमण के चलते लुप्त हो चुकी सोत नदी को पुनर्जीवित करने की ठानी थी. यह काम 5 जून 2019 से ही यानी कि पर्यावरण दिवस से ही शुरू किया था, जिसमें जनपद संभल के समाज सेवी संस्थाएं, ग्रामीण, किसान, सरकारी विभाग के जल सहयोग से मृत हो चुकी सोत नदी में अब कल कल की ध्वनि के साथ पानी बह रहा है और किसानों को भारी लाभ मिल रहा है. किसान अब आसानी से अपने खेतों में पानी पहुंचा पा रहे हैं. हालांकि यह काम आसान नहीं था बिजनौर से लेकर अमरोहा, संभल और बदायूं इसकी हजारों एकड़ भूमि पर अवैध कब्जे हो चुके थे. नदी सूख तो चुकी थी, लेकिन संभल के जिलाधिकारी ने सोत की खुदाई करवाने तथा अतिक्रमण हटाने का निर्णय लिया और आगे बढ़ते गए.
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प्रधानमंत्री ने सोत नदी को लेकर कही ये बात
प्रधानमंत्री ने मन की बात में सोत नदी का जिक्र करते हुए कहा, कर्तव्य की भावना हम सभी को एक साथ बांधती है. यूपी के संभल में देश ने कर्तव्य बोध का एक ऐसा उदाहरण देखा है, जिसे मैं आपके साथ भी साझा करना चाहता हूं. जरा सोचिए…70 से ज्यादा गांव, हजारों की आबादी और सभी लोग एक साथ आकर एक लक्ष्य हासिल करने के लिए एकजुट हो जाएं…ऐसा कम ही होता है, लेकिन संभल के लोगों ने ये कर दिखाया है. पीएम मोदी ने कहा कि, इन लोगों ने मिलकर जनभागीदारी और सामूहिक प्रयास की अद्भुत मिसाल कायम की है.
100 किलोमीटर से अधिक कर दिया गया है नदी का जीर्णोद्वार
पीएम मोदी ने बताया कि, दशकों पहले इस इलाके में ‘सोत’ नाम की एक नदी हुआ करती थी. अमरोहा से निकलकर संभल से होते हुए बदायूं तक बहने वाली यह नदी कभी इस क्षेत्र में जीवनदायिनी के रूप में जानी जाती थी. इस नदी में लगातार पानी बहता रहता था, जो यहां के किसानों के लिए खेती का मुख्य आधार था. समय के साथ नदी का प्रवाह कम हो गया, जिन रास्तों से नदी बहती थी उन पर अतिक्रमण हो गया और यह नदी विलुप्त हो गई. नदी को मां मानने वाले हमारे देश में संभल के लोगों ने सोत्रिवर को भी जीवित करने का संकल्प लिया है. पीएम ने आगे बताया कि, पिछले साल दिसंबर में 70 से अधिक ग्राम पंचायतों ने मिलकर सोत नदी के पुनर्जीवन का काम शुरू किया था. ग्राम पंचायत के लोगों ने सरकारी विभागों को भी अपने साथ लिया. आपको जानकर खुशी होगी कि साल के पहले छह महीने में ही इन लोगों ने 100 किलोमीटर से ज्यादा नदी का जीर्णोद्धार कर दिया है. जब बरसात का मौसम शुरू हुआ तो यहां के लोगों की मेहनत रंग लाई और सोत नदी पानी से लबालब भर गई.
नदी के किनारे 10 हजार से अधिक लगाए बांस के पौधे
प्रधानमंत्री ने अपनी बात को जारी रखते हुए बताया कि, यहां के किसानों के लिए यह बहुत बड़ी खुशी का अवसर बनकर आया है. लोगों ने नदी के किनारे 10 हजार से ज्यादा बांस के पौधे भी लगाए हैं, ताकि इसके किनारे पूरी तरह सुरक्षित रहें. नदी के पानी में तीस हजार से ज्यादा गंबूसिया मछलियां भी छोड़ी गई हैं ताकि मच्छर न पनपें.
बड़ी से बड़ी चुनौतियों को कर सकते हैं पार
पीएम ने आगे कहा, साथियों, सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार करके बड़ा बदलाव ला सकते हैं. कर्तव्य पथ पर चलते हुए आप भी अपने आस-पास ऐसे कई बदलावों का माध्यम बन सकते हैं. सोत नदी का उदाहरण हमें बताता है कि अगर हम ठान लें तो बड़ी से बड़ी चुनौतियों पर विजय पा सकते हैं और बड़ा बदलाव ला सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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