जोशीमठ में भू-धंसाव का कहर (फोटो ट्विटर)
Joshimath: उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भू-धंसाव का असर पर्यटन यात्रा पर भी काफी पड़ रहा है. जनवरी के महीने में काफी ज्यादा संख्या में पर्यटक औली और जोशीमठ में घूमने के लिए आते हैं. लेकिन अब भू-धंसाव के खतरे की वजह से पर्यटकों की सख्यां में 30 फीसदी की कमी आ गई है. इतना ही नहीं पर्यटकों ने भू-धंसाव के खौफ की वजह से होटलों से अपनी बुकिंग भी रद्द कर दी है. औली में इस समय ज्यादातर बर्फबारी देखने को मिलती है. इसलिए लोग औली की तरफ ज्यादा प्रभावित होते हैं.
अब इस मसले पर सरकार ने गंभीरता से कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. इस कड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है. इसमें मुख्य सचिव एसएस संधु और दोनों अपर मुख्य सचिव समेत वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे. मुख्यमंत्री शनिवार को जोशीमठ जाकर स्थिति का जायजा भी लेंगे.
पर्यटकों की संख्या पर पड़ रहा असर
फिलहाल, औली में रोपवे को बंद कर दिया गया है. जिसकी वजह से इसका पर्यटकों की संख्या में काफी असर पड़ रहा है. दूसरी तरफ पर्यटकों को रोपवे बंद होने की होने की वजह से अपने वाहनों से जोशीमठ पहुंचाना पड़ा. बता दें कि पर्यटन स्थल औली जाने के लिए 4.15 किलोमीटर लंबा रोपवे है. जिसके 1 से 3 टावर के आसपास की जमीन फट रही है. इसके अलावा कई घरों की दिवारों में दरार पड़ गई, कई जगहों पर जमीन दस गई. वहीं, जोशीमठ शहर में भू-धंसाव की चपेट में 500 से ज्यादा मकानों में दरारें आ गई हैं.
जमीन धंसने से बढ़ रही परेशानी
इस रोपवे में एक से लेकर तीन नंबर टावर के आसपास की जमीन धंसने से दूसरे टावरों को भी खतरा हो सकता है, हालांकि अभी टावर धंसे नहीं हैं. रोपवे प्रबंधक दिनेश भट्ट का कहना है,”सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन के आदेश के पालन में रोपवे का संचालन बंद किया गया है. हालांकि इन दिनों औली में प्रतिदिन दो हजार से अधिक पर्यटक और तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं, लेकिन जोशीमठ में रुकने से डर रहे हैं. हालांकि, औली में भूधंसाव का कोई खतरा नहीं है, लेकिन वहां पर ठहरने के लिए सीमित संसाधन हैं, ऐसे में औली आने वाले पर्यटकों को ठहरने के लिए जोशीमठ बेस कैंप जाना पड़ता है.
– भारत एक्सप्रेस
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