यौन उत्पीड़न मामले में तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी
यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी तमिलनाडु के पूर्व विशेष पुलिस महानिदेशक (DGP) राजेश दास को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत मिल गई है. अदालन ने उन्हें अगली सुनवाई तक आत्मसमर्पण से छूट दे दी है. साथ ही उनकी याचिका पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
महिला पुलिस अधीक्षक से यौन उत्पीड़न मामला
सुप्रीम कोर्ट मामले पर अगली सुनवाई अब 12 जुलाई को करेगा. यह आदेश जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने दिया है. पीठ राजेश दास की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उन्होंने ड्यूटी के दौरान एक महिला पुलिस अधीक्षक (SP) के यौन उत्पीड़न के मामले में आत्मसमर्पण की छूट मांगी थी. दास ने याचिका में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई तीन साल की सजा निलंबित करने और आत्मसमर्पण के लिए समय की मांग की थी.
कोर्ट ने सुनाई थी 3 साल की सजा
बता दें कि पिछले महीने मद्रास हाईकोर्ट ने राजेश दास को राहत देने से इनकार करते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. साथ कोर्ट ने दास को निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने से छूट देने से भी इनकार कर दिया था. दास को तमिलनाडु के विल्लुपुरम की निचली अदालत ने 2021 में एक महिला IPS अधिकारी का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने के लिए दोषी ठहराया था और तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी.
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याचिका हो गई थी खारिज
मद्रास हाईकोर्ट ने दास की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि पुलिस एक अनुशासित बल है, जिसमें शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को उच्च अनुशासन का प्रदर्शन करना चाहिए और उन्हें खुद को देश के नागरिकों के लिए रोल मॉडल के रूप में पेश करना चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने या उनके साथ अभद्र व्यवहार करने से जुड़े मामलों में अदालतों को आरोपियों की सजा निलंबित करते समय बहुत सतर्कता से विचार करना चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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