
मेधा पाटकर. (फोटो: IANS)
दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दाखिल आपराधिक मानहानि मामले में दोषी करार दी गई मेधा पाटकर को दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट ने आदेश के बाद गिरफ्तार कर लिया है. थोड़ी देर बाद दिल्ली पुलिस नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेता मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट में पेश करेगी. 23 अप्रैल को कोर्ट ने मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. कोर्ट के पिछले आदेश का पालन न करने पर गैर जमानती वारंट जारी किया था.
कोर्ट ने पाटेकर को प्रोबेशन पर रिहा किया था और 1 लाख का प्रोबेशन बॉन्ड भरने का निर्देश दिया था. लेकिन मेधा पाटकर ने कोर्ट के इस आदेश का पालन नही किया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने मेधा पाटकर को एक साल के लिए प्रोबेशन पर रिहा करने का आदेश दिया है. अतिरिक्त सेशन जज विशाल सिंह ने यह भी कहा कि वह उन पर लगाया गया 10 लाख रुपए का जुर्माना नहीं भरेंगी, लेकिन उन्हें सक्सेना को एक लाख रुपए का मुआवजा देना होगा.
वीके सक्सेना की ओर से मानहानि मुकदमा दायर
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली के उप राज्यपाल ने साकेत कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर कहा था कि मेधा पाटकर को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देना चाहिए. साथ ही एलजी ने कहा था कि मेधा पाटकर की याचिका सुनवाई योग्य नही है, उसे खारिज कर देना चाहिए. क्योंकि मेधा पाटकर ने अपनी याचिका में हस्ताक्षर नही किया है. जिसपर कोर्ट ने मेधा पाटकर से अपील की कॉपी पर हस्ताक्षर के साथ जज की आधिकारिक ईमेल पर मेल भेजने को कहा था.
बता दें कि मेधा पाटकर के खिलाफ दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने वर्ष 2001 में आपराधिक मानहानि का मुकदमा किया था. उस समय वे अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे. मेधा पाटकर को सजा देने के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान उपराज्यपाल वी.के सक्सेना के वकील ने उन्हें अधिकतम सजा देने की मांग की थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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