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दिल्ली-NCR में पटाखों पर प्रतिबंध हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला, जानें क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर प्रतिबंध जारी रखा, यह कहते हुए कि वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर बना हुआ है. कोर्ट ने साफ किया कि जब तक ग्रीन पटाखों की सुरक्षा पर संतोषजनक प्रमाण नहीं मिलते, तब तक प्रतिबंध जारी रहेगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि आबादी का बड़ा हिस्सा सड़कों पर काम करता है और प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है.

कोर्ट ने कहा कि हर कोई प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए अपने घर या कार्यस्थल पर एयर प्यूरीफायर लगाने का खर्च नहीं उठा सकता है. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि पटाखों पर बैन लगने से प्रदूषण 30 फीसदी तक कम हुआ है.

पटाखों पर बैन से 30% प्रदूषण में कमी-रिपोर्ट

इसपर अर्जी दाखिल करने वाले मुकेश जैन ने कहा कि पटाखों के सल्फर से हवा शुद्ध होती है, जिसपर जस्टिस ओका ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप ज्यादा बड़े एक्सपर्ट है क्या? इतना ही नही मुकेश जैन ने मुख्य याचिकाकर्ता एमसी मेहता पर भारत विरोधी विदेशी संस्थाओं से चंदा खाने का भी आरोप लगाया,

जजों ने मुकेश जैन की ओर से दायर अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि यह आपकी पहली ऐसी हरकत है, इसलिए हम आप पर जुर्माना नहीं लगा रहे है. हालांकि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करा ली जाए, अगर गलत हुआ तो कोर्ट उस पर जुर्माना लगा सकता है.

कोर्ट ने कहा कि पिछले छह महीनों के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कई आदेशों से दिल्ली में वायु प्रदूषण के अत्यधिक उच्च स्तर के कारण व्याप्त भयावह स्थिति का पता चलता है. स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अनिवार्य हिस्सा है. इसी तरह प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी संविधान का एक अनिवार्य हिस्सा है.

पिछले आदेशों पर पुनर्विचार करने से कोर्ट का इनकार

कोर्ट ने कहा कि अदालत जब तक इस बात से संतुष्ट नहीं होती कि कथित ग्रीन पटाखों से न्यूनतम प्रदूषण होता है. कोर्ट ने कहा कि पिछले आदेश पर विचार करने का कोई सवाल ही नही उठता है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पिछले साल 12 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को पुरे साल पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के बारे में अंतिम फैसला लेने का आदेश दिया था.

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-भारत एक्सप्रेस 



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