
घर से बाहर रहने वाले छात्रों के लिए पोस्टल बैलेट (डाक मतपत्र) के वोटिंग के अधिकार की मांग वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि मौजूदा पोस्टल बैलेट प्रणाली रक्षा कर्मियों और बुजुर्गों जैसी विशिष्ट श्रेणियों के लिए आरक्षित है. सुनवाई के दौरान सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि मेरे भाई न्यायाधीश संजय कुमार अपना वोट डालने के लिए अपने मूल स्थान पर जाते है.
यह याचिका हैदराबाद के नेशनल लॉ एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च के छात्र अर्नब कुमार मलिक ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि वयस्क मतदान एक संवैधानिक अधिकार है, लेकिन अपने घर से दूर दूसरे राज्य में रह रहा छात्र मतदान नहीं कर पाता है. पढ़ाई के लिए वह जिस दूसरे शहर में रह रहा है, वहां के स्थानीय मुद्दों और भाषा से उसका परिचय नहीं होता इसलिए, वहां अपना वोट ट्रांसफर करवाना उचित नही है.
भविष्य में छात्रों के लिए विशेष वोटिंग की सुविधा
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने छात्रों के मतदान अधिकारों की सुविधा के लिए अनिवासी भारतीय के लिए उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मॉडल को अपनाने का सुझाव दिया. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मतदान सूची पर मैनुअल विशेष रूप से छात्रों को अपने शहर या कस्बा में मतदान के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति देता है, बशर्ते वे पात्रता मानदंडों को पूरा करते हो.
कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मतदाता सूची पर मैनुअल और इसमें संबंधित प्रावधान को देखते हुए, हम इस रिट याचिका आगे सुनवाई नही करना चाहते हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कुमार ने कहा कि रोजगार या अन्य बाधाओं के कारण विभिन्न शहरों में रहने वाले कई व्यक्तियों को एक ही स्थिति का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि विकल्प सीधा है- मतदान करने के लिए अपने मूल स्थान जाए या वर्तमान निवास स्थान पर मतदाता पंजीकरण स्थानांतरित कराने के लिए आवेदन करें.
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-भारत एक्सप्रेस
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