शादी से पहले कुंडली मिलान क्यों है जरूरी? यहां जान लीजिए इसका जवाब
Head And Neck Cancer:कैंसर एक खतरनाक बीमारी है. इन दिनों दुनियाभर में सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों तेजी से बढ़ रहे हैं. खासकर भारत में गर्दन-सिर का कैंसर फैल रहा है. माना जा रहा है कि भारत में हर साल इस कैंसर के 12 लाख नए मामले आते हैं. वहीं दुनिया में यह छठवें नंबर के आम कैंसरों में से एक है. सबसे हैरानी की बात यह है कि 57.5 प्रतिशत मामले एशिया में दर्ज किए गए हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2040 तक इसकी संख्या में 50-60 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि कैंसर पुरूषों में सबसे ज्यादा देखा गया है. वहीं महिलाओं में चौथे स्थान पर है. 60 से 70 साल के उम्र वाले लोग इस कैंसर से प्रभावित होते हैं. वहीं 24 से 33 प्रतिशत 20 से 50 साल के उम्र वाले लोग इस कैंसर से पीड़ित हैं. तो चलिए जानते है कि इस कैंसर के लक्षण क्या हैं और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है?
दरअसल, कैंसर में शरीर की कुछ ऐसी कोशिकाएं होती है जो अनियन्त्रित रूप से बढ़ने लगती है. अगर सिर और गर्दन में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगे तो इसे सिर और गर्दन का कैंसर कहते हैं. माना जाता है कि 60 से 70 साल के उम्र वाले लोग इस कैंसर से प्रभावित हैं. वहीं 24 से 33 प्रतिशत 20 से 50 साल के उम्र वाले लोग इस कैंसर से पीड़ित हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में यह कैंसर यंग लोगों में भी तेजी से फैलेगा. यह कैंसर होने का मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल, बढ़ती उम्र, तंबाकू, धूम्रपान, शराब की लत है.
इन कैंसरों के लक्षण अलग होते हैं. जिसकी वजह से अलग-अलग शरीर में अलग तरह के लक्षण दिखाई देते हैं. यह कैंसर के मुख्य लक्षणों के कारण है बोलने और निगलने में दिक्कत होना. भारत में 60-70 प्रतिशत मरीज उन्नत अवस्था में आते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर पर इसके खतरनाक असर दिखाई दे सकते हैं. तम्बाकू, शराब, सुपारी और आहार संबंधी कुपोषण सामान्य एटियलॉजिकल कारक हैं जिससे गले और गर्दन का कैंसर हो सकता है.
ये भी पढ़ें:मानसून में डायरिया समेत इन बीमारियों से रहेंगे दूर, डाइट में शामिल करें मिलेट्स!
वैज्ञानिको के अनुसार, मुंह और गले के कैंसर के 57.5% मामले एशिया में पाए जाते हैं. इनमें 30 प्रतिशत मामले भारत में सामने आते हैं. वहीं, 1,19,992 नए मामलों और 72,616 मौतों के साथ भारत में ओरल कैविटी कैंसर सबसे ज्यादा है. इसके पीछे भारत में तम्बाकू का अधिक सेवन बड़ी वजह है. इस कैंसर के 80 से 90% रोगियों में तम्बाकू का सेवन प्रमुख जोखिम कारक के रूप में पहचाना गया है. भारत में 42.4% पुरुष, 14.2% महिलाएं, वर्तमान में तंबाकू का उपयोग करते हैं.
समय पर लक्षणों की पहचान कर इस कैंसर का इलाज संभव है. अगर आप इस कैंसर से बचना चाहते हैं तो तम्बाकू का सेवन न करें और शराब के सेवन से बचें, क्योंकि इससे कैंसर का खतरा और अधिक बढ़ जाता है. इस कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी तीन तरीके हैं. कैंसर की शुरुआत स्टेज में सर्जरी के जरिए इलाज किया जाता है, जबकि कैंसर के अधिक फैलने पर रेडिएशन और कीमोथेरेपी की जरूरत होती है.वहीं 70 पार कर चुके लोगों के लिए इम्यूनोथेरेपी बढ़िया विकल्प होता है.
-भारत एक्सप्रेस
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुंबई शहर ने लंबे समय तक आतंकवाद की पीड़ा झेली है.…
एनसी प्रमुख ने कहा, “हमारा उद्देश्य यही है कि यहां के लोगों को सही तरीके…
कोहली बांग्लादेश और न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत के पांच घरेलू टेस्ट मैचों में सिर्फ एक…
यूपीपीएससी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर प्रतियोगी छात्रों की मांगों को ध्यान में…
अली को नवंबर 2019 में लश्कर के एक ऑपरेटिव शेख अब्दुल नईम उर्फ सोहेल खान…
फरवरी 2020 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के साथ ही नागरिकता…