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Babri Masjid Demolition Ananniversary: आज के दिन 31 साल पहले क्या हुआ था? 6 दिसंबर को देशभर में क्यों सुरक्षा चौकसी रहती है?

31 साल पहले रामनगरी अयोध्या में ‘बाबरी मस्जिद’ को ​आंदोलनकारियों ने ढहा दिया था. जिसके बाद देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जिसमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ.

Babri Masjid demolition

आज बाबरी मस्जिद विध्वंस की 31वीं बरसी है.

Anniversary of Babri Masjid Demolition: 6 दिसंबर 1992 का दिन भारत के इतिहास में दर्ज है. इसी दिन श्रीरामनगरी अयोध्‍या में एक बड़ी मस्जिद को कारसेवकों की भीड़ ने ढहा दिया था, जिसे बाबरी मस्जिद कहा जाता था. सनातन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि इस्‍लामिक आक्रांता बाबर के सिपहसालार द्वारा अयोध्‍या में श्रीरामजन्‍मभूमि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई गई थी. राम मंदिर की जमीन पर मस्जिद बनने के समय से ही वहां दो समुदायों में तनाव रहा. यह विवाद आज से ठीक 31 साल पहले तब चरम पर पहुंचा, जब हजारों कारसेवकों ने अयोध्‍या की यात्रा की.

वर्ष 1992 में, 6 दिसंबर वह तारीख थी जब देश भर से इकट्ठा हुए कारसेवकों ने कथित ‘बाबरी’ मस्जिद को तहस-नहस कर दिया था. उसके बाद भारत और पाकिस्‍तान में जगह-जगह हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए. इससे काफी समय तक तनाव बना रहा. आज भी इस विवाद से जुड़े लोगों के घाव नहीं भरे हैं. हालांकि, 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह ऐतिहासिक विवाद सुलझ गया. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद की जगह पर मंदिर बनाने का फैसला किया और मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को ढहाने को गलत करार दिया था.

आज ही के दिन रामजन्‍मभूमि पर बनी मस्जिद ढही

6 दिसंबर के दिन देशभर में, खासकर उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं और पुलिस ज्यादा सतर्क हो जाती है. पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी. एक मस्जिद के विध्वंस के लिए अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ और दूसरा सांप्रदायिक भाषणों के लिए भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे

दिसंबर 1992 की शुरूआत से ही देशभर से लाखों कारसेवक अयोध्या में बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ रहे थे. हजारों लोग एक स्‍वर में नारे लगा रहे थे. ‘जयश्री राम’, ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’, ‘एक धक्का और दो…’, जैसे नारे की गूंज से पूरी अयोध्या गूंज रही थी. केंद्र में तब नरसिम्हा राव की सरकार थी, राज्य में कल्याण सिंह की सरकार थी. बताया जाता है कि हजारों की भीड़ मस्जिद में घुस गई और मस्जिद को नष्ट कर दिया. कारसिवकों ने अपने हाथों में हथौड़े, कुदाल, छेनी लेकर मस्जिद पर हमला किया और जो कुछ भी उनके हाथ में था उसे मस्जिद को ध्वस्त करने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया. इस सब में सिर्फ दो घंटे लगे. बाद में पूरी घटना की जांच के लिए लुब्रहान आयोग का गठन किया गया.

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मजिस्ट्रेट स्थिति को समझने में असमर्थ रहे

फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने सुबह 11:45 बजे बाबरी मस्जिद परिसर का दौरा किया था. हालांकि वे स्थिति को समझ नहीं पाये. उन्हें पूरा मामला सामान्य लग रहा था, लेकिन उनका रवैया इतनी आसानी से समझ में नहीं आ रहा था, क्योंकि कहा जा रहा था कि वह असहाय लग रहे थे, इसलिए चुप रहे. समय बीतने के साथ लोगों की भीड़ बढ़ती गयी. दोपहर में अचानक भीड़ गुंबद तक पहुंचने में कामयाब हो गई. इसके बाद वहां जो हादसा हुआ उस पर किसी का नियंत्रण नहीं था और बेकाबू लोगों ने मस्जिद के गुंबद को ध्वस्त कर दिया था.

कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त कर दी गई

इस हादसे के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर दिया. ऐसी भी खबरें थीं कि बर्खास्तगी की सिफारिश से करीब तीन घंटे पहले कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. हालाँकि अब ये बातें इतिहास बन चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस जगह पर राम मंदिर बनाने का फैसला किया था. सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है और राम मंदिर लगभग बनकर तैयार है और जनवरी 2024 में इसके उद्घाटन की तारीख भी सामने आ चुकी है, लेकिन मस्जिद के लिए दी जाने वाली जमीन का शिलान्यास अभी तक नहीं हुआ है.

— भारत एक्सप्रेस



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