बुलडोजर एक्शन.
बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 सितंबर को सुनवाई करेगा. यह याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की ओर से दायर की गई है. याचिका में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान द्वारा आरोपियों के घरों पर चलाए जा रहे बुलडोजर पर रोक लगाने की मांग की है.
अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप
याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया गया है. हालही में यूपी में एक मामला सामने आया था, जहां 12 साल की नाबालिग लड़की के साथ रेप के बाद आरोपी मोईद खान और नौकर राजू खान के खिलाफ एक्शन लेते हुए पुलिस ने मोईद खान की बेकरी को ध्वस्त कर दिया था. बाद में यूपी पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था. मोईद खान समाजवादी पार्टी का नगर अध्यक्ष है. याचिका में कहा गया है कि समाज में हाशिए पर मौजूद लोगों खासकर अल्पसंख्यको के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई की जा रही है. याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रशासन पीड़ितों को अपने बचाव के लिए कानूनी उपाय करने का मौका ही नहीं देते है. फौरन सजा देने के लिए बुलडोजर चलवा देते है.
राजस्थान और मध्य प्रदेश में बुलडोजर एक्शन
बता दें कि राजस्थान में अगस्त में एक नाबालिग आरोपी के घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई थी. उदयपुर में एक अल्पसंख्यक समुदाय के 10 वे क्लास में पढ़ने वाले छात्र ने अपने क्लासमेट पर चाकू से हमला कर दिया था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी. जिसके बाद आरोपी के घर वाले सालों से किराए पर जिस मकान में रहते थे, उसको यह कह कर ध्वस्त कर दिया गया कि यह जंगल की जमीन पर बनी है. जबकि मध्य प्रदेश सरकार ने कई आरोपियों पर बुलडोजर एक्शन लिया है और उनके घर को ध्वस्त कर दिया है. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और छतरपुर में इस तरीके की कार्रवाई की गई है.
बता दें कि एमेनेस्टी इटरनेशनल ने फरवरी में एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसमें अप्रैल 2022 से जून 2024 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं के बाद बुलडोजर के जरिये 128 सम्पतियों को जमींदोज कर दिया गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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