सुप्रीम कोर्ट.
1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दो अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दे दी. इससे पहले कोर्ट से 10 अन्य दोषियों को राहत मिल चुकी है. एक दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उम्र का हवाला देते हुए कहा कि उसकी उम्र 82 साल है, वह कई बीमारियों से ग्रसित है. लिहाजा स्वस्स्थ्य के आधार पर जमानत दे दी जाए. जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह आदेश दिया है.
याचिकाकर्ताओं समी उल्लाह, निरंजन लाल, महेश प्रसाद और जयपाल सिंह की ओर से पेश वकील अमित आनंद तिवारी दलील दी कि अपीलकर्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद 6 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं. उन्होंने कहा कि अपीलकर्ताओं को पहले अधीनस्थ अदालत द्वारा बरी किया जा चुका है तथा अधीनस्थ अदालत में सुनवाई और अपील प्रक्रिया के दौरान उनका आचरण अच्छा रहा है.
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हाशिमपुरा में क्या हुआ था
बता दें कि हाशिमपुरा नरसंहार 22 मई 1987 को हुआ था, जब पीएसी की 41वीं बटालियन की सी कंपनी के जवानों ने सांप्रदायिक तनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में मेरठ के हाशिमपुरा इलाके से एक ही समुदाय के लगभग 50 पुरुषों को कथित तौर पर घेर लिया था. पीड़ितों को शहर के बाहरी इलाके में ले जाया गया, जहां उन्हें गोली मार दी गई और उनके शवों को एक नहर में फेंक दिया गया. इस घटना में 38 लोगों की मौत हो गई थी. केवल पांच लोग ही इस भयावह घटना को बयां करने के लिए बचे थे.
सबूत के अभाव में कई हुए बरी
2015 में ट्रायल कोर्ट द्वारा 16 पीएसी कर्मचारियों को बरी कर दिया था. निचली अदालत ने सभी को सबूत के अभाव में बरी किया था. निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. हाईकोर्ट ने 2018 में निचली अदालत के फैसले को पलट दिया, जिसमें 16 आरोपियों को हत्या, अपहरण या हत्या के लिए अपहरण, सबूतों को गायब करने और आपराधिक साजिश सहित विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
-भारत एक्सप्रेस
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