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“कमलनाथ सरकार गिराने के चक्कर में BJP खुद का ‘कांग्रेसीकरण’ करा बैठी”, विवेक तन्खा ने कसा तंज

Madhya Pradesh: तन्खा ने कहा कि कांग्रेस से बीजेपी में आने के बाद विधानसभा उपचुनाव हारे नेताओं को भी प्रदेश के निगम-मंडलों का अध्यक्ष बना दिया गया है.

कांग्रेस नेता विवेक तन्खा

Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं, जिसको लेकर प्रदेश में अभी से आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं. इसी बीच कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने बीजेपी पर कटाक्ष किया है. उन्होंने मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी के कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष होने का दावा किया है. विवेक तन्खा ने कहा कि कमलनाथ सरकार गिराने के चक्कर में बीजेपी खुद का ‘कांग्रेसीकरण’ करा बैठी है. तन्खा ने बुधवार रात इंदौर में संवाददाताओं से कहा कि बीजेपी के साथ समस्या यह है कि उसने राज्य मंत्रिमंडल के 50 प्रतिशत पद उन नेताओं को दे दिए हैं जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे.

उन्होंने कहा, ‘‘आपने (बीजेपी) ने कमलनाथ सरकार को गिराने के चक्कर में अपनी पार्टी का कांग्रेसीकरण कर दिया है और अपने ही लोगों को मंत्रिमंडल में पर्याप्त स्थान नहीं दिया है.’’

‘उपचुनाव हारे नेताओं को भी पद दिया’

तन्खा ने कहा कि कांग्रेस से बीजेपी में आने के बाद विधानसभा उपचुनाव हारे नेताओं को भी प्रदेश के निगम-मंडलों का अध्यक्ष बना दिया गया है. गौरतलब है कि वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के विधानसभा से त्यागपत्र देकर बीजेपी में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार का 20 मार्च 2020 को पतन हो गया था. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च 2020 को सूबे की सत्ता में लौट आई थी.

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘‘इन दिनों बीजेपी में बहुत गहरा असंतोष है. जिन लोगों ने बरसों-बरस वफादारी से बीजेपी की सेवा की है, उन्हें बेवफा माना जा रहा है. बीजेपी में आज वे लोग वफादार हो गए हैं जो संभवत: पैसा लेने के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं.’’

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‘बजरंग दल के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का कोई मुद्दा नहीं’

पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि क्या इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सूबे की सत्ता में लौटने पर बजरंग दल के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जाएगा ? इस पर तन्खा ने कहा कि यह सूबे में कोई मुद्दा नहीं है और इस बारे में कोई चर्चा तक नहीं कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि हिंसाग्रस्त मणिपुर में बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक समुदायों के मतभेदों को चर्चा के जरिये सुलझाया जाना चाहिए और किसी भी वर्ग को अपना निजी एजेंडा जबरन आगे नहीं बढ़ाना चाहिए.

– भारत एक्सप्रेस (इनपुट भाषा के साथ)



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