भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए अपनी बातचीत की तथा एक निवेश सुरक्षा करार की समीक्षा की और कहा कि संपर्क परियोजनाओं में देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. दोनों पक्षों ने सोमवार को दिल्ली में हुई चौथी रणनीतिक साझेदारी समीक्षा बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की.
बुधवार को जारी एक संयुक्त वक्तव्य के अनुसार भारत और ईयू ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप यूक्रेन में व्यापक, न्यायोचित और दीर्घकालिक शांति की जरूरत पर भी जोर दिया. इसमें कहा गया कि उन्होंने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के सभी स्वरूपों की स्पष्ट रूप से निंदा की जिसमें सीमापार हमले शामिल हैं. संपर्क परियोजनाओं को लागू करने में देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की जरूरत का आह्वान चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव (बीआरआई) को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच किया गया है.
भारत बीआरआई का मुखर आलोचक रहा है. इस परियोजना में तथाकथित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शामिल है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से गुजरता है. बैठक में ‘भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी: 2025 की रूपरेखा’ विषय पर विस्तार से समीक्षा की गयी. भारत और ईयू ने पिछले साल जून में आठ साल से अधिक समय के अंतराल के बाद व्यापार और निवेश समझौते के लिए बातचीत फिर शुरू की थी.
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प्रस्तावित समझौते के लिए बातचीत जून 2007 में शुरू हुई थी जिसमें अनेक अवरोध आये और दोनों पक्षों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर मतभेद देखे गये. बैठक में दोनों पक्षों ने नयी ‘भारत-ईयू व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद’ (टीटीसी) की प्रगति का भी जायजा लिया. सोमवार को हुई बैठक में भारतीय दल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने किया और ईयू पक्ष की अगुवाई यूरोपीय विदेशी कार्रवाई सेवा में आर्थिक और वैश्विक मुद्दों की उप महासचिव हेलेना कोनिग ने की.
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