विश्लेषण

महानगरों की ट्रैफिक समस्या का समाधान

Traffic Police: देश के महानगरों में ट्रैफिक जाम होना एक आज आम बात हो गयी है। अक्सर ऐसे जाम में फंस कर आप सभी ने अपना बहुमूल्य समय और ईंधन ज़रूर गंवाया होगा। देश में बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ-साथ जिस कदर वाहनों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है, ट्रैफ़िक जाम तो बढ़ेंगे ही। यातायात पुलिस हो या सड़कों पर चलने वाले आम नागरिक सभी इस समस्या से परेशान हैं। ट्रैफ़िक की इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए जनता और पुलिस को एक दूसरे का सहयोग करना होगा और जाम से निजात पाने के नए विकल्प ढूंढने होंगे।

पिछले दिनों अख़बार में दिल्ली यातायात पुलिस के विशेष आयुक्त एस एस यादव का एक बयान छपा था। जिसमें यादव ने दिल्ली पुलिस के ट्रैफ़िक स्टाफ़ को एक नए अन्दाज़ में अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का निर्देश दिया। ग़ौरतलब है कि दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों के पास यह शिकायत आ रही थी कि दिल्ली के ट्रैफ़िक पुलिसकर्मी बड़ी-बड़ी लक्ज़री गाड़ियों के चालकों से ग़ैर-क़ानूनी ढंग से चालान के बदले मोटी रक़म वसूल रहे थे। दिल्ली के सभी 15 ज़िलों को निर्देशित करते हुए यादव ने यह बात स्पष्ट कर दी कि यदि किसी भी सिपाही को ऐसी ग़ैर-क़ानूनी वसूली का दोषी पाया जाएगा तो संबंधित ट्रैफ़िक इंस्पेक्टर सहित एसीपी व डीसीपी से भी इसका स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। इसकी रोकथाम के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण भी किए गए। इन निरीक्षणों में यह बात भी सामने आई कि ट्रैफ़िक पुलिसकर्मी बड़ी-बड़ी गाड़ियों को रोक कर चेक करने की मंशा से अचानक उनके आगे आ जाते हैं और उन गाड़ियां को रुकवाते हैं। अचानक ऐसा करने से न सिर्फ़ दुर्घटना की संभावना बड़ जाती है, बल्कि जाम भी लग जाते हैं।

इसलिए श्री यादव की ओर से यह एक अच्छी पहल है। परंतु ऐसे औचक निरीक्षण केवल चालान दस्ते पर ही सीमित न हों। ट्रैफ़िक कंट्रोल रूम में बैठने वाले टेलीफोन ऑपरेटर का भी औचक निरीक्षण होना चाहिए। दिन भर के भीड़-भाड़ वाले समय में उन्हें सबसे अधिक फ़ोन कॉल किन-किन इलाक़ों से आए? क्या उन इलाक़ों से ऐसी कॉल रोज़ाना आतीं हैं? क्या इन कॉलों को संबंधित इलाक़े के अधिकारियों को भेज कर ही ज़िम्मेदारी समाप्त हो जाती है? ग़ौरतलब है कि, आज के सूचना प्रौद्योगिकी के युग में गूगल मैप्स की मदद से हम कहीं भी जाने से पहले पूरा मार्ग देख कर यह जान लेते हैं, कि कितना समय लगेगा, जाम है या नहीं। उसी आधार पर वैकल्पिक मार्ग का चयन कर लेते हैं। ठीक उसी तरह क्या ट्रैफ़िक पुलिस के अधिकारी कंट्रोल रूम में बैठ कर, गूगल मैप के ज़रिये जाम लगे इलाक़ों की सूचना संबंधित इलाक़े के पुलिस अफ़सरों नहीं दे सकते? यदि ऐसी सूचना संबंधित अधिकारियों को मिल जाए तो उन्हें भी पता चल जाएगा कि उन पर निगरानी रखी जा रही है। उन्हें मौक़े पर पहुँच कर जाम को खुलवाना पड़ेगा। देश भर की ट्रैफ़िक पुलिस को इस सुझाव पर गौर करना चाहिए।

दिल्ली या अन्य महानगरों में लगने वाले जाम का कारण क्या होता है, इस पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। आमतौर पर देखा गया है कि सड़कों पर लगने वाले जाम के पीछे बाज़ारों के सामने ग़लत पार्किंग करना। उल्टी दिशा से ट्रैफ़िक का आना। ग़लत लेन में वाहन चलाना। ट्रैफ़िक सिग्नल का सही से काम न करना। भीड़-भाड़ वाले समय में ट्रैफ़िक पुलिसकर्मियों का नदारद रहना। बस स्टैंड या मेट्रो स्टेशन पर ऑटो व रिक्शा की भीड़ लगना। सड़कों का रख-रखाव न होना, जैसे कई कारण हैं। यह बात तो समझ आती है कि हर राज्य के पास ट्रैफ़िक व्यवस्था को संभलने के लिए पर्याप्त स्टाफ़ नहीं है। परंतु इसका मतलब ये नहीं है कि स्टाफ़ की कमी के चलते जाम को बढ़ने दिया जाए। सीमित साधनों से भी असीमित काम किए जा सकते हैं अगर मंशा ठीक हो।

हर वो बाज़ार जो मेन रोड को जाम कर सकते हैं, वहां पर ट्रैफ़िक पुलिस विभाग को सिविल डिफेंस के जवानों की मदद लेनी चाहिए। जो इस बात को सुनिश्चित करें कि जो भी वाहन ग़लत पार्किंग कर रहा हो वे उसे टोकें, चाहे मेगा माइक की मदद से या सीटी बजा कर। जैसे ही वाहन चालक को सिटी या माइक की आवाज़ सुनाई देगी वो चौकन्ना हो जाएगा। इसके बावजूद भी यदि वो अपना वाहन गलत ढंग से पार्क करता है तो उसकी फ़ोटो खींच कर उसे चालान विभाग में भेजा जाए। इसके अलावा जहां पर भी संभव हो वहां पुलिस की क्रेन नियमित रूप से चक्कर लगाए। जैसा कि एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर होता है। गाड़ी उठाए जाने के डर से कोई भी अपना वाहन ग़लत ढंग से पार्क नहीं करेगा।

इसी तरह अधिक भीड़ वाले समय पर ट्रैफ़िक सिग्नल का नियंत्रण किसी सिपाही के द्वारा हो तो बेहतर होगा। इसका उदाहरण तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में देखा गया। वहां के हर प्रमुख चौराहे पर बने ट्रैफ़िक संतरी पोस्ट पर ट्रैफ़िक सिग्नल का नियंत्रण करने वाला स्विच लगा हुआ है। जिसे वहाँ बैठा सिपाही ट्रैफ़िक की मात्रा के अनुसार चलाता है। जिस भी दिशा में जाने वाले ट्रैफ़िक की मात्रा अधिक होती है वहाँ की ‘हरि बत्ती’ की अवधि बढ़ाई जाती है। इस तरह बेवजह ट्रैफ़िक जाम नहीं होता। ज़रा सोचिए यदि भीड़-भाड़ वाले समय में ऐसे सिग्नल स्वचालित हों तो न सिर्फ़ जाम लगेगा बल्कि जल्दबाज़ी में लोग लाल बत्ती को पार भी करने लगेंगे, जो कि ख़तरनाक साबित होगा।

देश भर की ट्रैफ़िक पुलिस को ऐसे कुछ नायाब तरीक़ों की खोज करनी होगी जिससे ट्रैफ़िक जाम से छुटकारा पाया जा सकेगा। वरना वाहन चालक और ट्रैफ़िक पुलिस एक दूसरे को ही दोष देते रहेंगे और समस्या का हल कभी नहीं निकल पाएगा।

– भारत एक्सप्रेस

रजनीश कपूर, वरिष्ठ पत्रकार

Recent Posts

नववर्ष पर शराब पीने के मामले में टॉप पर रहा यूपी, तीसरे नंबर पर रही दिल्ली

देशभर में नववर्ष पर 600 करोड़ की शराब बिकी, जिसमें उत्तर प्रदेश अव्वल रहा. दिल्ली-एनसीआर…

7 hours ago

Kumbh Mela 2025: प्रयागराज एयरपोर्ट से सिविल लाइंस के लिए शुरू हो गई शटल बस सेवा, 550 इलेक्ट्रिक शटल बसें चलेंगी

महाकुम्भ 2025 के आयोजन को लेकर सीएम योगी के निर्देश पर 550 शटल बसें चलेंगी.…

8 hours ago

Mahakumbh 2025: QR कोड स्कैन करते ही खुलेंगे महाकुंभ सुरक्षा के चार डिजिटल दरवाजे

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर डिजिटल तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसमें…

8 hours ago

Mahakumbh Mela 2025: महानिर्वाणी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में भव्य सिंहासन पर सवार हो निकले महामंडलेश्वर

Mahakumbh 2025: महानिर्वाणी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में नारी शक्ति का भी विशेष स्थान…

9 hours ago

लालू यादव की INDIA गठबंधन में शामिल होने के दावत पर नीतीश कुमार ने दिया ये जवाब, अटकलें हुई तेज

लालू यादव के INDIA गठबंधन में फिर से शामिल होने के "दरवाजे खुले हैं" वाले…

9 hours ago

Delhi High Court का आदेश- किसी भी सूरत में यौन उत्पीड़न से पीड़ित बच्चों की पहचान उजागर न हो

दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स के चिकित्सा अधीक्षक और पुलिस आयुक्त को आदेश दिया कि यौन…

9 hours ago