यूरोप के साथ भारत का व्यापार बढ़ा
India Europe Trade: रूस-यूक्रेन की जंग को चलते हुए लगभग 1 साल से ज्यादा हो चुका है और यह जंग अभी भी जारी है. तमाम देशों की अपील के बाबजूद भी रूस और यूक्रेन में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. इस युद्ध ने दुनियभर में गहरा प्रभाव छोड़ा है. अब अर्थव्यवस्था और इंटरनेशनल व्यापार को लेकर नए समीकरण उभर कर सामने आए हैं. इस युद्ध की वजह से कुछ देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है तो वहीं कुछ देशों को फायदा भी हुआ है. अगर भारत की बात की जाए तो इस जारी युद्ध की वजह से फायदा है, क्योंकि अपना देश यूरोप के लिए ईंधन का सबसे बड़ा सप्लायर बनकर उभरा है.
इस युद्ध की वजह से यूरोप के कई देशों ने रूस से ईंधन की खरीदना बंद कर दिया है तो वहीं भारत रूस (India-Russia) से रिकॉर्ड कच्चा तेल खरीद रहा है. जिसकी वजह से भारत यूरोप का बड़ा सप्लायर बन गया है.
कैसे भारत पर निर्भर हो रहा है यूरोप
न्यूज एजेंसी एएनआई ने एनालिटिक्स फर्म केपलर (Kpler) के डेटा का हवाला देते हुए बताया है कि “अप्रैल महीने के दौरान यूरोप के लिए भारत रिफाइंड ईंधनों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. यह बदलाव ऐसे समय हुआ है, जब भारत एक तरफ रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चे तेल की खरीद कर रहा है. इस हमले की वजह से अमेरिका और यूरोप की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने रूस के ऊपर आर्थिक पाबंदियां लगाई हैं, साथ ही रूस के साथ व्यापारिक ताल्लुकात कम किए हैं”.
यूरोप ईंधन के मामले में रूस पर निर्भर रहता आया है. बदले हालात में यूरोप ने रूस से रिफाइंड ईंधनों की खरीद बंद की है तो अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत पर उसकी निर्भरता बढ़ी है.
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3.60 लाख बैरल से ज्यादा रिफाइंड फ्यूल खरीदा
एनालिटिक्स फर्म केपलर (Kpler) के डेटा के मुताबिक, अप्रैल के महीने में यूरोप ने भारत से हर दिन औसतन 3.60 लाख बैरल से ज्यादा रिफाइंड फ्यूल खरीदा है. यह आंकड़ा सऊदी अरब से की गई औसत खरीद से ज्यादा है. रिफाइंड फ्यूल उन पेट्रोलियम उत्पादों को कहा जाता है, जिन्हें कच्चे तेल के परिशोधन के बाद तैयार किया जाता है. डीजल और पेट्रोल जैसे पारंपरिक ईंधन इसके उदाहरण हैं.
– भारत एक्सप्रेस
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