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Anand Mohan: फिर जेल जा सकता है आनंद मोहन, जी कृष्णया की पत्नी ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, की ये मांग 

G Krishnaiah’ wife: जी कृष्णया की पत्नी उमा कृष्णया द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि मौत की सजा को कम करके अदालत द्वारा निर्देशित आजीवन कारावास को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए.

Anand mohan Bihar

जी कृष्णैया की पत्नी ने खटखटाया SC का दरवाजा

Anand Mohan: आईएएस अधिकारी जी कृष्णया की पत्नी ने पूर्व सांसद आनंद मोहन की समय से पहले जेल से रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है. जी कृष्णया की पत्नी उमा कृष्णया (Uma Krishnaiah) द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि मौत की सजा के विकल्प के रूप में अदालत द्वारा निर्देशित आजीवन कारावास को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा का मतलब उसके पूरे जीवन भर के लिए कैद है. इसलिए उमा ने आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की है.

बिहार जेल नियमों में संशोधन के बाद आनंद मोहन को गुरुवार सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया. जी. कृष्णया को 1994 में बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के नेतृत्व में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.

‘मॉडल जेल मैनुअल 2016’ पर आधारित है यह फैसला

आनंद मोहन की रिहाई को लेकर आलोचनाओं के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार शाम एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया था कि यह फैसला केंद्र के ‘मॉडल जेल मैनुअल 2016’ पर आधारित है. उन्होंने अपने साथ रखी किताब का हवाला देते हुए ने कहा, यह मॉडल जेल मैनुअल 2016 की किताब है. कृपया इसे पढ़कर मुझे बताएं कि क्या कोई प्रावधान कहता है कि अगर एक आईएएस अधिकारी की हत्या हो जाती है, तो दोषी को जीवन भर जेल में रहना होगा?

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‘आनंद मोहन जेल में 15 साल से सजा काट रहा था’

देश के किसी भी राज्य में ऐसा कोई कानून नहीं है. इसलिए, हमने इसे बिहार में हटा दिया है. वह (आनंद मोहन) 15 साल से अधिक समय से जेल की सजा काट रहे थे. गहन चर्चा के बाद निर्णय लिया गया. 2017 के बाद से, बिहार में छूट (‘परिहार’) की 22 बैठकें हुई हैं और 696 कैदियों को रिहा किया गया है. गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और महात्मा गांधी की जयंती पर मेरी सिफारिश पर कई कैदियों को रिहा किया गया. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या आम लोगों और सरकारी अधिकारी के लिए आवश्यक कानून में कोई अंतर है. उन्होंने कहा, हालांकि 27 कैदियों को रिहा कर दिया गया है, लेकिन ऐसा क्यों है कि केवल एक व्यक्ति की रिहाई का विरोध किया जा रहा है.

1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी कृष्णया, जो तेलंगाना के रहने वाले थे, उनको भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था, जब उनके वाहन ने गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस को ओवरटेक करने की कोशिश की थी. कथित तौर पर भीड़ को आनंद मोहन ने उकसाया था.

– भारत एक्सप्रेस (इनपुट ians के साथ)

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