मिशन चंद्रयान-3
Chandrayaan 3 Cost: भारत अंतरिक्ष एजेंसी ISRO का चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में कुछ ही घंटे बाकी हैं. एक बेहद पावरफुल रॉकेट (LVM3) के जरिए चंद्रयान-3 को आज लॉन्च किया जाएगा. यह भारत का तीसरा मिशन है, 15 साल पहले भारत ने 2008 में पहला, उसके बाद 2019 में दूसरा और अब तीसरा मून मिशन लॉन्च करने की तैयारी की है. खास बात यह है कि भारतीय मून मिशन दुनिया में सबसे सस्ता है, लेकिन इसकी कामयाबी अमेरिका, चीन और रूस से भी ज्यादा होगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि ISRO के वैज्ञानिक चांद के साउथ पोल पर पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग करवाएंगे. यदि चंद्रयान-3 की ये लैंडिंग सफल रही, तो भारत इतिहास रच देगा.
ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ के मुताबिक, चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग चंद्रयान-2 की तुलना में भी सस्ती होगी, ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बार ISRO के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के लिए ऑर्बिटर नहीं बनाया है. बताया जा रहा है कि चंद्रयान-3 के लिए चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से मदद ली जा सकती है, जिसे भारत ने 2019 में लॉन्च किया था, और वह अभी तक अंतरिक्ष में चक्कर काट रहा है.
चंद्रयान-3 में क्या कुछ है, जो चांद पर जाएगा
चंद्रयान-3 के साथ प्रोपल्शन मॉड्यूल जा रहा है. जो कि एक संचार उपग्रह की तरह होता है. यानी यह लैंडर मॉड्यूल को चंद्रमा के पास छोड़कर सिर्फ धरती और लैंडर के बीच कम्यूनिकेशन करने में मदद करेगा. ISRO के वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लैंडर में 5, रोवर में 2 यंत्र हैं. ये तापमान, मिट्टी व वातावरण में मौजूद तत्व व गैस ढूंढ़ेंगे. इसके अलावा यह सुदूर अंतरिक्ष में मौजूद एग्जोप्लैनेट्स की स्टडी करेगा. इसलिए इसकी कीमत अन्य मून मिशन की तुलना में कम रहेगी. ऑर्बिटर में आने वाली लागत की तुलना में प्रोपल्शन मॉड्यूल सस्ते में बन जाता है.
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615 करोड़ रुपए में पूरा हो जाएगा यह मिशन
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो ने चंद्रयान-3 के शुरुआती बजट के लिए 600 करोड़ रुपए की उम्मीद लगाई थी. हालांकि, तमाम तकनीक सुधारों के बाद अब यह मिशन 615 करोड़ रुपए में पूरा हो रहा है. इसे फाइनल कॉस्ट माना जा रहा है. अगर दूसरे देशों से इसकी तुलना करें तो भारत का ये मून मिशन सबसे सस्ता है.