शव यात्रा के दौरान ‘राम नाम सत्य है’ क्यों बोलते हैं? यहां जाने इसका महत्त्व
Gautam Buddha and His Teachings: भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने एक कार्यक्रम के दौरान राजकुमार सिद्धार्थ (जो आगे चलकर महात्मा बुद्ध कहलाए), उनकी पत्नी यशोधरा और सिद्धार्थ के पिता-शाक्यवंशी राजा शुद्धोधन का प्रसंग सुनाया. गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे.
सीएमडी उपेंद्र राय ने कहा, ‘किसी सभा में मैंने महात्मा बुद्ध और उनकी पत्नी यशोधरा की मुलाकात की कहानी सुनाई थी. उन पति-पत्नी के संवाद को मैं दुनिया के इतिहास के कीमती संवादों में से एक मानता हूं, आप उसे यहां समझिए. जब भिक्षु बनने निकल चुके महात्मा बुद्ध (राजकुमार सिद्धार्थ) को, उनके पिता राजा शुद्धोदन ने वापस बुलवाना चाहा. उन्होंने 10 लोगों को संदेश लेकर बुद्ध के पास भेजा, हालांकि शायद उनका संदेशा बुद्ध तक नहीं पहुंचा, क्योंकि बुद्ध से मिलने के बाद दसों के दसों भिक्षु हो गए. उसके बाद राजा शुद्धोदन ने बुद्ध को राज दरबार में बुलवाने के लिए 11वें मित्र को यह कहकर भेजा कि मुझे पता है कि तुम भी नहीं लौटोगे लेकिन तुम मेरा इतना काम करके आना, सिद्धार्थ से कहना कि राजा शुद्धोदन अपने पुत्र से मिलने के लिए तड़प रहा है.’
उपेंद्र राय बोले, ‘11वें मित्र के जरिये राजा का संदेश शायद बुद्ध तक पहुंचा और फिर जब बुद्ध पिता से मिलने कपिलवस्तु आए तब वह एक धर्मशाला में रुक गए. बुद्ध के आने का पता चलते ही राज्य में ढिंढोरा पीटा गया कि सम्राट का बेटा आया है. उस धर्मशाला में महामंत्री आ गए, प्रधानमंत्री आ गए, सब आ गए… राजा शुद्धोदन भी पहुंचने वाले थे कि बुद्ध ने हाथ जोड़कर विनती की कि मेरी एक जीवन चर्या है. मैंने जीवन जीने का एक तरीका 12 साल तपस्या करके सीखा है, मुझे ऐसा ही रहने दिया जाए. मैं अगले दिन पिता से मिलने आऊंगा. अगले दिन दरबार में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सब लोग वहां हैं, लेकिन उनकी पत्नी वहां नहीं थीं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘बुद्ध ने फिर पूछा कि यशोधरा कहां हैं, वो नहीं दिख रहीं. इस पर राजा शुद्धोदन ने कहा कि यशोधरा से तुमको मिलना है तो यशोधरा के महल में जा सकते हो. उसने आने से इनकार कर दिया है. बुद्ध जब सबसे मिल लिए तो यशोधरा के महल में गए, लेकिन बुद्ध बुद्ध क्यों हैं, यह बात मेरे दिल को बड़ा छूती है. जब वह यशोधरा के महल पर गए तो ऐसे नहीं गए कि दरवाजा हाथ से खोला हो या लात से खोला हो या दरवाजा जोर से पीट दिया हो. जिस भिक्षा पात्र को लेकर वो अंदर महल में आए थे अपने पिता से मिलने, उसी भिक्षा पात्र को लेकर दरवाजे पर खड़ा होकर बोले- भवति भिक्षां देहि.’
सीएमडी उपेंद्र राय ने कहा, ‘उस वक्त महात्मा बुद्ध द्वार पर ऐसे ही खड़े हुए थे, जैसे कोई भिक्षु किसी के द्वार पर भिक्षा मांगने के लिए खड़ा होता है. यशोधरा को भी देखिए… वो द्वार से बाहर निकलती हैं और अपने बेटे राहुल का हाथ भिक्षा के रूप में बुद्ध के हाथ में पकड़ा देती हैं, तब बिना कुछ बोले बुद्ध वहां खड़े रहते हैं और पूछते हैं कि आप मुझे अंदर आने के लिए नहीं कहेंगी. तो यशोधरा कहती हैं कि यह महल आप ही मुझे देकर गए थे, आप ही का है, आइए… तो बुद्ध ने कहा कि अब तो मेरा कुछ भी नहीं रहा. बस इस भिक्षा पात्र के अलावा और यह भी क्यों है? मैं सोचता हूं कई बार, इससे मैं मुक्ति भी चाहता हूं.’
सीएमडी उपेंद्र राय ने कहा, ‘जब यशोधरा ने बुद्ध को कक्ष में अंदर बुलाया तो उनसे दो सवाल पूछे- पहला सवाल यह पूछा कि क्या आपको मेरे ऊपर इतना भी भरोसा नहीं था? क्षत्रणियां तो अपने पतियों को यह जानते हुए कि वो युद्ध में जा रहा है, लौट के नहीं आएगा.. तो तिलक लगाकर और आरती करके विदा करती हैं. आप तो मानवता को, इस समाज और संसार को कुछ देने के लिए इतनी बड़ी यात्रा पर जा रहे थे, तो क्या मेरे ऊपर आपको इतना भी भरोसा नहीं था कि मैं आपको विदा कर देती, अगर मुझसे इस पर खुलकर बात करते तो? पत्नी यशोधरा की बात सुनकर बुद्ध बोले कि जीवन में पहली बार मेरे पास कोई उत्तर नहीं था.’
उन्होंने कहा, ‘यशोधरा ने दूसरा सवाल पूछा कि 12 साल की तपस्या करके आप बुद्ध बनकर लौटे हैं, आप मुझे बताइए कि क्या इस महल में रहकर आप बुद्ध नहीं बन सकते थे, बाजार में नहीं बन सकते थे, इसी संसार में रहकर नहीं बन सकते थे? फिर बुद्ध ने कहा कि दूसरी बार भी मैं चुप रह गया और मेरे पास उत्तर नहीं था, क्योंकि कोई भी बुद्ध यह कैसे इनकार कर सकता है कि बुद्ध महल और संसार में रहकर नहीं बना जा सकता, कि परमात्मा को नहीं पाया जा सकता, जीवन को नहीं समझा जा सकता?’
बकौल उपेंद्र राय, ‘अपने प्रवचन में बुद्ध कहते हैं कि यशोधरा की बात सुनकर पहली बार मुझे लगा कि मैं अपने पूर्वाग्रहों से बुद्ध बनने के बाद भी मुक्त नहीं हो पाया था. इसलिए यशोधरा से अपनी गलती मानी जीवन में पहली बार, कि हां पत्नी को बताकर जाना चाहिए था, लेकिन उस वक्त भी मैं अपने पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं था… मुझे डर था कि औरत होने के नाते तुम मेरे कदमों की जंजीर बनकर मुझे रोक लोगी.’
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन उपेंद्र राय बीते शनिवार (30 मार्च) को ‘एक्सचेंज 4 मीडिया’ के ‘News Next 2024’ कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जहां ‘भारत एक्सप्रेस’ को अलग-अलग कैटेगरी में 4 अवार्ड मिले. आयोजन में शामिल देशभर के वरिष्ठ पत्रकारों और आयोजकों द्वारा CMD उपेंद्र राय की सराहना की गई.
— भारत एक्सप्रेस
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