दिल्ली एनसीआर प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिव को तलब किया है. कोर्ट ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने वाले पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का CAQM को आदेश दिया.
पंजाब में 267 के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया जिसमें से सिर्फ पांच लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. कोर्ट 23 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कि राज्य सरकार पराली जलाने के लिए लोगों पर मुकदमा चलाने और मामूली जुर्माना लगाकर लोगों को छोड़ देने से क्यों कतरा रही है.
प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ नही किया गया
इसरो आपको बता रहा है कि आग कहां लगी थी और आप कहते हैं और आपको कुछ नही मिला. कोर्ट ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है. यदि मुख्य सचिव किसी के इशारे पर काम कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कुछ नही किया गया है. पंजाब के साथ भी ऐसा ही है. रवैया पूरी तरह से अवज्ञाकारी है. वही कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कमीशन के साथ कोई विशेषज्ञ क्यों नहीं जोड़ा जा सकता और मीटिंग में अफसर क्यों नही रहते है, क्या ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार
इसपर कोर्ट ने केंद्र सरकार से हलफनामा देने को कहा है. पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि समस्या के समाधान को लेकर कुछ नही हो रहा है सिर्फ मीटिंग हो रही है. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए उपाय सुझाने और लागू कराने को लेकर बनी कमिटी कमीशन फोर एयर क़्वालिटी मैनेजमेंट ने निर्देशों का पालन कराने का प्रयास नही किया.
कोर्ट ने कहा था कि CAQM ने पराली जलाने की घटनाओं के खिलाफ एक भी मुकदमा नही चलाया है. कोर्ट ने कहा था की किसी भी कारण से कोई भी CAQM के आदेशों के उल्लंघन के लिए लोगों पर मुकदमा नही चलाना चाहता है.
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सब जानते हैं कि चर्चा के अलावा कुछ नही हो रहा है. यही इसकी कड़वी सच्चाई है. कोर्ट ने राज्यों और CAQM से पूछा था कि पराली जलाने के लिए किसानों और अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई क्यों नही की है. कोर्ट ने था पूछा कि पुलिस और राज्य के अधिकारी बैठक में क्यों नही आ रहे है? कोर्ट ने पूछा कि केवल नाममात्र का जुर्माना क्यों लगाया जा रहा है?
-भारत एक्सप्रेस