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माइक्रोचिप्स के पीछे दुनिया पागल क्यों है? मार्केट में अमेरिका, चीन और ताइवान का दबदबा, जानिए, भारत इसके लिए क्या कर रहा है

आज के दौर में जब चौतरफा इलेक्ट्रॉनिक क्रांति से दुनिया बमबम कर रही है. इसके मद्देनज़र दुनिया के सारे देश एक छोटी सी चिप के प्रोडक्शन के पीछे पागल हैं. जो देश इसे बना नहीं सकते, वो प्रोड्यूस करने वाले देशों के आगे-पीछे घूमते दिखाई दे रहे हैं. इस छोटे से डिवाइस का नाम है ‘माइक्रोचिप’. आम तौर पर इसके प्रोडक्शन का एक बड़ा हिस्सा दो चार देशों के पास ही है और दुनिया से उठने वाली डिमांड को यह फिलहाल फुलफिल नहीं कर पा रहा है. आर्टिकल थोड़ा लंबा है. लेकिन, आप इत्मीनान के साथ पढ़ते जाइए. परत दर परत आप माइक्रोचिप्स के बारे में जानेंगे और एक राष्ट्र की आर्थिक और सामरिक ताकत के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है, यह भी जानेंगे.

क्या है माइक्रोचिप?

माइक्रोचिप दिखने में काफी छोटी है, लेकिन यह एक बहुत बड़े डिवाइस का एक तरह से आत्मा है. यह एक छोटी सी सिलिकॉन वायर चिप होती है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स जैसे कि ट्रांजिस्टर, रेसिस्टर, कैपेसिटर, इंटरकनेक्टिंग वायर और डायोड्स इत्यादि को एक संगठित तरीके से लगाया जाता है. यह चिप कंप्यूटरीकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों, मोबाइल डिवाइस, विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, विद्युत सामग्री प्रबंधन, संवाद तंत्र, IOT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), मेडिकल उपकरण और विभिन्न अन्य एप्लीकेशन में इस्तेमाल होते हैं.

माइक्रोचिप्स छोटे आकार के होते हैं और उनमें लाखों या करोड़ों इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स होते हैं जो कारगर और प्रोसेसिंग क्षमता को बढ़ाते हैं. ये चिप्स केवल सिलिकॉन स्ट्रेशन्स नहीं होते, बल्कि वे विभिन्न धातुओं और उपकरणों के संयोजन से बने होते हैं जो उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं.

कोविड के बाद दुनिया भर में भारी डिमांड

कोविड-19 पैंडेमिक ने पूरी दुनिया में व्यापार, औद्योगिक कार्यक्रम और लोगों के जीवन को प्रभावित किया. इस पैंडेमिक के कारण, कई चीजें बदल गईं और एकाधिक क्षेत्रों में तेजी से बदलाव हुए. लोगों की कार्यशैली काफी हद तक डिजटल हो गई. ऐसे में माइक्रोचिप्स की मांग पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई.
दूरसंचार और आईओटी: कोविड-19 ने दिखाया कि आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) और अन्य दूरसंचार तंत्रों का महत्व कितना बढ़ गया है. लोग घरों में रहकर काम करने लगे और विभिन्न उपकरणों का उपयोग किया, जिनमें माइक्रोचिप्स शामिल हैं.

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मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स: कोविड-19 में चिकित्सा उपकरणों की महत्वपूर्ण आवश्यकता थी, जैसे कि डिजिटल थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर आदि, जो माइक्रोचिप्स पर आधारित होते हैं.

विद्युतीय उपकरण: विद्युतीय उपकरणों की मांग भी बढ़ी, क्योंकि घरों में और व्यापारिक स्थलों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग बढ़ गया.

ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स: ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स में भी माइक्रोचिप्स का प्रयोग होता है, जैसे कि कारों में कंप्यूटर सिस्टम्स, सेंसर्स और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक तंत्र.

कुल मिलाकर इन सभी वजहों से माइक्रोचिप्स की डिमांड बढ़ गई है, क्योंकि ये उपकरणों के निर्माण और विकास के कई प्रमुख हिस्सों में एक महत्वपूर्ण घटक होते हैं.
माइक्रोचिप्स के प्रोडक्शन में किसकी बादशाहत? माइक्रोचिप्स के निर्माण में कई देश महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और उनमें से कुछ विशेष देश आगे बढ़ रहे हैं. इनमें अमेरिका और इसके सहयोग से ताइवान देश काफी आगे हैं. अमेरिका इसके प्रोडक्शन में सबसे आगे है और सिलिकॉन वैली क्षेत्र ने इस उद्योग को विस्तार देने में काफी अहम भूमिका निभाई है. आज की तारीख में अमेरिकी कंपनियों के अधिकांश माइक्रोचिप का प्रोडक्शन ताइवान में हो रहा है.

अमेरिका के अलावा चीन ने भी इस दिशा में काफी प्रगति कर ली है. चीन माइक्रोचिप्स के निर्माण में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन चुका है. इसने इस क्षेत्र में विशेष ध्यान देने के साथ-साथ नए- नए तकनीक की खोज की है.इसके बाद इजराइल भी माइक्रोचिप्स के प्रोडक्शन में अहम स्तान रखता है. अलग-अलग एप्लीकेशंस के लिए इसके पास महारथ है. साथ ही जापान भी बेस्ट क्वालिटी वाले माइक्रोचिप्स बना रहा है.

भारत में माइक्रोचिप्स का प्रोडक्शन

धीरे-धीरे भारत ने भी माइक्रोचिप्स के प्रोडक्शन को बढ़ाना शुरू कर दिया है. भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में इसके प्रोडक्शन, डिजाइनिंग और विकास के क्षेत्र में कई कंपनियां काम कर रही हैं. भारतीय कंपनियों का फोकस कंप्यूटर और नेटवर्किंग डिवाइस को बनाने में है. इसके अलावा मोबाइल और वायरलेस कम्युनिकेशन, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स (गाड़ियों में कंप्यूटर सिस्टम्स, सेंसर्स आदि) और OTT के क्षेत्रों में कई कंपनियां माइक्रोचिप्स का निर्माण कर रही हैं.

माइक्रोचिप्स बनाने वालीं दुनिया की बड़ी कंपनियां

जैसे कि हमने ऊपर आपको बताया कि माइक्रोचिप्स की जरूरत रोजमर्रा के इलेक्ट्रॉनिक और मेडिकल डिवाइसेज में तो है ही, इसके अलावा बड़े मिशन में भी इसका इस्तेमाल काफी क्रूशल हो चुका है. इसके निर्माण अमेरिका, चीन, जापान और ताइवान स्थित कंपनियां काफी मुनाफा कमा रही हैं. ये कंपनियां हैं;
Intel Corporation: यह एक अमेरिकी कंपनी है और मुख्य रूप से यह माइक्रोप्रोसेसर निर्माता है और कंप्यूटर के क्षेत्र में किए जाने वाले इनोवेशन में काफी अग्रणी है.
Samsung Electronics: सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स, दक्षिण कोरिया की कंपनी है, जिसने विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के लिए विभिन्न प्रकार के माइक्रोचिप्स निर्मित किए हैं।
Taiwan Semiconductor Manufacturing Company (TSMC): ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) दुनिया की सबसे बड़ी व्यापारिक माइक्रोचिप निर्माता कंपनी है, जो अन्य कंपनियों के लिए माइक्रोचिप्स निर्माण करती है.
Qualcomm: यह अमेरिकी कंपनी मोबाइल कम्युनिकेशन और वायरलेस तकनीक में उत्कृष्टि के लिए जानी जाती है और मोबाइल उपकरणों के लिए माइक्रोचिप्स निर्माण करती है।

NVIDIA Corporation: एनविडिया एक प्रमुख ग्राफिक्स प्रोसेसिंग इक्विपमेंट्स कंपनी है, जो माइक्रोचिप्स के विकास में विशिष्ट है.
AMD: एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेज अमेरिकी कंपनी है जो माइक्रोप्रोसेसर्स और ग्राफिक्स कार्ड्स का निर्माण करती है.

Huawei Technologies: चीन की हुआवेई टेक्नोलॉजीज भी माइक्रोचिप्स के निर्माण में अग्रणी है और उनके उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं.

– भारत एक्सप्रेस

Amrit Tiwari

Editor (Digital)

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