
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों, विपक्षी पार्टियों के बाद अब राज्यों की ओर से याचिका दायर करने का सिलसिला जारी है. जहां संगठनों, विपक्षी पार्टियां कानून को असंवैधानिक करार देने सहित मुस्लिम विरोधी बता रही है. वहीं राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र उत्तराखंड और हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया है. सात राज्यों की तरफ से दायर याचिका में नए कानून का समर्थन किया गया है.
नए कानून को पारदर्शी और न्यायोचित बताया
राज्यों की तरफ से कहा गया है कि नया कानून पारदर्शी, न्यायपूर्ण और व्यवहारिक है. कानून के खिलाफ दाखिल याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि राज्यों का पक्ष सुने जाने बिना एक तरफा फैसला ना दें. राजस्थान सरकार ने वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं में पक्षकार बनाने की मांग की है. राजस्थान सरकार का कहना है कि वह वक्फ कानून में हुए ऐतिहासिक सुधारों का बचाव करना चाहती है, क्योंकि प्रदेश में सैकड़ों एकड़ भूमि ऐसी है, जिसपर वक्फ दावा करता है. इस कानून का उद्देध्य सरकारी और निजी भूमि को मनमाने ढंग से वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रवृति पर रोक लगाना है.
अब तक डेढ़ दर्जन याचिका हो चुकी है दाखिल
राजस्थान सरकार के एडवोकेट जनरल शिवमंगल शर्मा ने बताया कि सरकार ने राज्य के हितों की रक्षा और धार्मिक न्यासीए संपत्तियों के कानूनी एवं न्याय संगत संचालन के पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र दायर किया है. अब तक इस कानून के खिलाफ डेढ़ दर्जन याचिका दाखिल हो चुकी है. जिनमें कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AMIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, समस्त केरल जमीयतुल उलमा, मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, अंजुम कादरी, तैय्यब खान, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, आरजेडी सांसद मनोज झा और जेडीयू नेता परवेज सिद्दीकी, समाजवादी पार्टी से सांसद जियाउर्रहमान बर्क, अखिल भारत हिंदू महासभा के सदस्य सतीश अग्रवाल शामिल है.
केंद्र सरकार की ओर से दायर की गई कैवीएट
वही केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में कैवीएट दायर की गई है. संसद से बजट सत्र में पास वक्फ (संशोधन) बिल, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है. गजट नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम 1995 का नाम भी बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशियंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम 2025 हो गया है.
अमानतुल्लाह खान ने अनुच्छेद 32 के तहत दायर की याचिका
अमानतुल्लाह खान ने अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दायर की है, जिसमें हाल ही में लोकसभा और राज्यसभा से पास वक्फ संशोधित बिल के कानूनी वैधता को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, संस्कृति और संपत्ति के अधिकारों के खिलाफ है. वक्फ बोर्ड को केंद्र सरकार के अधीन लाकर अल्पसंख्यक समुदाय के स्वायत्तता को कमजोर की गई है.
कानून संविधान के कई अनुच्छेदों का करता है उल्लंघन
याचिका में यह भी कहा गया है कि ट्रिब्यूनल के न्यायिक शक्तियों को जिला कलेक्टर को सौंपना गलत है. जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. संसद में भी ओवैसी ने वक्फ बिल का विरोध किया था और प्रतीकात्मक तौर पर इसकी एक कॉपी भी फाड़ दी थी. वही कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर कर वक्फ संशोधन विधेयक को मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 24 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और अनुच्छेद 300 ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है.
-भारत एक्सप्रेस
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