श्री कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद.
मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट 1 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से पूछा कि सभी मुकदमों की एक साथ सुनवाई के मुद्दे पर हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? जिसपर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि असमान प्रकृति वाले मुकदमों को एक साथ नही सुना जाना चाहिए. इससे जटिलताएं पैदा होगी. सीजेआई ने कहा कि कोई जटिलता नहीं है. यह आपके और उनके लाभ में भी है कि कई कार्यवाही से बचा जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरी हो तो हम आपको इसे बाद में उठाने की अनुमति देते है.
मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद HC के फैसले को दी चुनौती
मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना था. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के निचली अदालत में लंबित कुल 18 मुकदमों को सुनवाई के लिए अपने पास ट्रांसफर किये जाने के फैसले के खिलाफ मुश्लिम पक्ष की ओर से चुनौती दी गई है. एक अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना था. पिछली सुनवाई में याचिकाओं को निचली अदालत से हाई कोर्ट ट्रांसफर किए जाने पर रोक लगाने की मुश्लिम पक्ष की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया था.
मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह विवाद पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में दूसरी कैविएट दाखिल की है. इससे पहले राष्ट्रीय हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी. विष्णु शंकर जैन और विष्णु गुप्ता द्वारा दायर कैविएट में कहा गया है कि अगर शाही ईदगाह कमेटी या कोई और याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के 18 याचिकाओं के सुनवाई योग्य होने और उन पर एक साथ सुनवाई के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आता है तो अदालत बिना पक्ष सुने कोई आदेश न जारी करे. इन याचिकाओं पर उनका भी पक्ष सुना जाए.
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इसके अलावा कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 14 दिसंबर 2023 को शाही ईदगाह मस्जिद कॉम्प्लेक्स का सर्वे करने के आदेश पर रोक लगा रखा है. हाई कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किये जाने पर भी रोक लगा दिया था. मामले से जुड़े हिंदू पक्षकारो की दलील है कि मस्जिद परिसर में कई ऐसे चिन्ह मौजूद है, जिनसे प्रामाणिक होता है कि इतिहास में यह मंदिर था.
-भारत एक्सप्रेस
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