
खनिज अधिकारों और खनिज संपन्न भूमि पर रॉयल्टी और कर वसूली से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इसका समाधान करने की कोशिश की जा रही है, जो केंद्र और कई खनिज संपन्न राज्यों के बीच लंबित है. कोर्ट 24 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
कोर्ट झारखंड सरकार सहित अन्य राज्य सरकारों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. ये राज्य सरकारें केंद्र और खनन कंपनियों से हजारों करोड़ रुपए की रॉयल्टी और कर बकाया वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं. जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि वह यह तय करेगी कि विभिन्न राज्यों की याचिकाओं की सुनवाई किस क्रम में होगी.
झारखंड सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि किसी भी चरण में समझौता किया जा सकता है, लेकिन सुनवाई में देरी नही होनी चाहिए. हालांकि केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई मई में टालने की मांग की थी.
25 साल से लंबित मामला
सुप्रीम कोर्ट के ने जजों की संविधान पीठ ने इस मामले में 8:1 कई बहुमत से फैसला दिया था. संविधान पीठ ने खनिज-युक्त भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति को बरकरार रखा था. यह मामला पिछले 25 साल से कोर्ट में लंबित है. संविधान पीठ ने राज्यों के टैक्स लगाने के अधिकार से जुड़ी 85 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह फैसला दियाथा. ये मामला 2011 में 9 जजों की बेंच को भेजा गया था. क्योंकि इस मामले में पांच जजो और सात जजों के संविधान पीठ के बीच विरोधाभास था.
मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर राज्य सरकारों द्वारा खनिज पर रॉयल्टी से अधिक टैक्स लगाने का विरोध किया था. केंद्र सरकार ने अदालत से राज्यों द्वारा रॉयल्टी से अधिक टैक्स लगाने का अनुमति जा देने को कहा है.
केंद्र सरकार की दलील
सरकार ने कोर्ट से कहा था कि खनिज समृद्ध राज्यों द्वारा लगाए गए टैक्स से मुद्रास्फीति बढ़ेगी. खनन के क्षेत्र में FDI में बाधा आएगा. भारतीय खनिज महंगा हो जाएगा. खनिज अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे बिजली, स्टील, सीमेंट, एल्युमिनियम आदि के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है, इसलिए कीमतों में कोई वही वृद्धि राज्यों द्वारा लगाए गए अतिरिक्त उपकर के कारण ये खनिज देश मे मुद्रास्फीति को बढ़ावा देंगे.
बता दें कि 78 % कोयला संसाधन ओडिशा, झारखंड, छतीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में केंद्रित. भारत का 55 % वाणिज्यिक ऊर्जा उत्पादन कोयले का 68 % बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है.
हलफनामा में यह भी कहा गया है कि देश भर में सुव्यवस्थित और न्यायसंगत तरीके से विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतों पर देश भर में खनिज आधारित कच्चे माल की उपलब्धता आवश्यक है, जिसमें कुछ राज्यों में संसाधन व खनिज की एकाग्रता के प्रभावों को विधायी रूप से संबोधित करना शामिल है.
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-भारत एक्सप्रेस
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