PFI के पूर्व अध्यक्ष ई. अबूबकर
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व प्रमुख ई अबूबकर को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने अभी तक अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को नहीं सौंपी है. अब इस मामले में अगली सुनवाई सर्दियों की छुट्टी के बाद होगी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एम्स के निदेशक को एक मेडिकल टीम गठित कर अबूबकर के स्वास्थ्य की जांच का आदेश दिया था.
अबूबकर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2022 में PFI पर बड़ी कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था. एजेंसी के मुताबिक PFI, उसके सदस्य और पदाधिकारी देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने और इस मकसद के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहे थे.
अबूबकर ने हाई कोर्ट में तर्क दिया था कि उनके खिलाफ UAPA के तहत NIA के मामले को समर्थन देने के लिए कोई ठोस सामग्री नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वह 70 वर्ष के हैं और कैंसर के मरीज हैं. इसके साथ ही, वह पार्किंसंस रोग से भी जूझ रहे हैं और हिरासत के दौरान कई बार उन्हें एम्स में इलाज के लिए जाना पड़ा.
NIA ने अबूबकर की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं कि अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कैडर को प्रशिक्षित करने के लिए शिविर आयोजित किए जा रहे थे. एजेंसी का दावा है कि अबूबकर के खिलाफ कई मामले हैं और उनकी रिहाई पर कोई भी उनके खिलाफ गवाही देने को तैयार नहीं होगा.
2022 में PFI और उसके सहयोगी संगठनों पर लगाए गए राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध से पहले, कई राज्यों में संगठन के कथित कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. NIA ने आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने के आरोप में 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में छापे मारे और PFI कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया. अबूबकर को 22 सितंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था. ये छापे केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान में मारे गए थे.
फरवरी 2023 में हाई कोर्ट ने तिहाड़ जेल के चिकित्सा अधीक्षक को अबूबकर की बीमारियों का नियमित और प्रभावी इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. हालांकि, अदालत ने अबूबकर को जेल में रखने के बजाय घर में नजरबंद करने की याचिका खारिज कर दी थी.
-भारत एक्सप्रेस
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