
दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो).
दिल्ली हाई कोर्ट ने आतंकवादियों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने के मामले में अलगाववादी नेता नईम अहमद खान को युएपीए मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शलिंदर कौर की पीठ ने कहा कि खान के खिलाफ पहले ही आरोप तय किए जा चुके है. उपसर हाई कोर्ट की ओर से रोक नहीं लगाई गई है या खारिज नहीं कि गई है. इस चरण में सबूतों बकम फिर से मूल्यांकन नहीं किया जा सकता.पीठ ने यह कहते हुए खान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
क्या है आरोप?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खान को 24 जुलाई 2017 में गिरफ्तार किया था और वह 14 अगस्त 2017 से न्यायिक हिरासत में है. उसने दिसंबर 2022 में जमानत देने से इनकार करने वाले स्पेशल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. एनआईए ने कोर्ट से कहा था कि खान के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्पष्ट रूप से बनता है और वह आतंकवादी फंडिंग गतिविधियों में शामिल था. उसे आईएसआईएस समर्थक रैली का नेतृत्व करते और उन इलाकों का दौरा करते देखा गया जहां आतंकवादी मारे गए थे. वीडियो में खान के हिजबुल मुजाहिदीन से फंडिंग के बारे में बातचीत है.
NIA ने गृह मंत्रालय की एक शिकायत पर दर्ज की थी FIR
एनआईए ने गृह मंत्रालय की एक शिकायत पर एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक मुखिबर से प्राप्त गुप्त सूचना के आधार पर यह पता चला था कि लश्कर ए तैयबा प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद और हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्यों सहित विभिन्न अलगाववादी नेता हवाला के माध्यम से धन जुटा रहे थे और कश्मीर में हिंसा पैदा करने की साजिश में भी शामिल थे.
कई धाराओं के तहत दर्ज किया गया मामला
इसके तहत कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूलों को व्यवस्थित रूप से जलाना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुचाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के जरिए अशांति पैदा करने के लिए एक बड़ी आपराधिक साजिश रची गई थी. यह मामला आईपीसी की धारा 120बी, 121, 121A और 124A तथा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 39 और 40 के तहत दर्ज किया गया था.
-भारत एक्सप्रेस
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