
लॉटरी पर टैक्स लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने सिक्किम हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने यह फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि सिर्फ राज्य सरकार ही लॉटरी पर टैक्स लगा सकती है.
केवल राज्य सरकार लगा सकती है टैक्स
कोर्ट ने कहा कि लॉटरी की बिक्री पर केंद्र सरकार द्वारा सर्विस टैक्स नही लगाया जा सकता है. सिक्किम हाई कोर्ट ने वित्त अधिनियम 1994 की धारा 65 (105) के खंड (zzzzn) को असंवैधानिक घोषित किया था. यह खंड वित्त अधिनियम 2010 द्वारा जोड़ा गया था. इस खंड में लॉटरी सहित किसी भी प्रकार के जुए को बढ़ावा देना, उसकी मार्केटिंग करना, उसका आयोजन करना या किसी भी तरह से उसकी सहायता करना को कर योग्य सेवा के रूप में शामिल किया गया था.
सेवा कर लगाने पर रोक
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि लॉटरी टिकट के खरीदार और फर्म के बीच हुए लेन-देन पर सेवा कर नही लगाया जाता है. कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार सहित अन्य की ओर से दायर याचिका में कोई मेरिट नही दिखाई दे रही है. इसलिए अपील को खारिज किया जाता है. हालांकि प्रतिवादी संविधान की सूची 2 की प्रविष्टि 62 के तहत राज्य द्वारा लगाए गए गैंबलिंग टैक्स जारी रखेंगे.
केंद्र सरकार की अपील खारिज
केंद्र सरकार ने वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सिक्किम हाई कोर्ट ने लॉटरी फर्म फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा यह याचिका दायर किया गया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लॉटरी और गैंबलिंग को वस्तु एवं सेवा कर में शामिल किए जाने को लीगल करार दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि लॉटरी में इनाम की राशि भी टैक्स के दायरे में आती है. एक प्राइवेट लॉटरी कंपनी ने लॉटरी को जीएसटी में शामिल करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी थी. यह याचिका 1 मार्च 2020 से 28 % जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया था. इस मुद्दे पर जीएसटी परिषद में काफी माथापच्ची हुई थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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