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Delhi High Court

न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने कहा इस बीच वर्तमान आवेदक (पिल्लई) की स्वास्थ्य स्थिति और उसे दिए जा रहे उपचार के संबंध में नवीनतम चिकित्सा रिपोर्ट संबंधित जेल अधीक्षक से मांगी जाए.

हाई कोर्ट ने कहा कि वह दिव्यांग वादियों और वकीलों के मामलों की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर करेगा. दिव्यांगों के मामलों को भी प्राथमिकता देगा.

न्यायमूर्ति ने कहा कि जब अपराध की गंभीरता, अपराध की प्रकृति, दोषी के आपराधिक इतिहास और न्यायपालिका पर जनता के विास पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे कारकों पर विचार किया जाए, तो सेंगर सजा के निलंबन का हकदार नहीं है.

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि आरोप यह दर्शाते हैं कि इस युग में भी विवाहित महिलाओं को धन या दहेज की इच्छा पूरी न होने पर उनके पति और ससुराल वाले अपमानित, प्रताड़ित करते हैं एवं पीटते हैं.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने इसके साथ ही इससे संबंधित याचिका को निपटा दिया.

दोषी ने उसे दो अलग-अलग मामलों में दी गई सजा को लगातार चलाने के बजाय एक साथ चलाने की मांग की थी।

एक फैमिली कोर्ट ने पत्नी को भरण-पोषण के रूप में 75,000 रुपये मासिक का भुगतान करने का आदेश उसके आर्किटेक्ट पति को दिया था. पति ने इस आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

कोर्ट ने कहा कि अन्य कारकों में अपराध की गंभीरता, अपराध की प्रकृति, दोषी का आपराधिक इतिहास, न्यायालय में जनता के विश्वास पर प्रभाव आदि शामिल हैं।

श्रेयंसी ठाकुर नामक 17 वर्षीय छात्रा द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि एनटीए का अनुग्रह अंक देने का निर्णय मनमाना है और इससे हजारों छात्र प्रभावित हो रहे हैं।

एक याचिका में हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि वह दिल्ली पुलिस को वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ होने वाले अपराधों का आंकड़ा अलग से बनाने का निर्देश दे.