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Lalu Yadav Birthday: यूनिवर्सिटी का छात्र न होते हुए भी लालू यादव ने कैसे लड़ा PUSU का चुनाव ? जानिए उनके बर्थडे पर इनसाइड स्टोरी

Lalu Yadav: लालू यादव ने यहीं से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की. इस दौर में उन्होंने अपने आप को पिछड़े नेता के रूप में विकसित किया. लेकिन यह लालू यादव के लिए आसान नहीं था. इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष और जुगाड़ बैठानी पड़ी थी.

लालू यादव और राबड़ी देवी (फोटो ट्विटर)

Lalu Yadav Birthday: देश में अपने देशी अंदाज में ठाठ जमाने वाले लालू यादव आज अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने अपनी सियासत से लेकर बोलने के अंदाज से लोग का दिल जीत रखा है. एक छोटे से गांव और बेहद गरीब परिवार से आने वाले लालू यादव ने किस कदर अपनी किस्मत रातनीति में अपनाई उससे हर कोई हैरान रह जाता है. उनके फैसलों से ज्यादातर विरोध चकमा खा जाते थे. लेकिन लालू यादव के इस सफर की शुरूआत हुआ कैसे, चलिए आपको बताते हैं. यह वो समय था जब उनकी जिंदगी में राबड़ी देवी आईं और उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ का चुनाव लड़ गैर कांग्रेसी गठबंधन को जीत दिलाई.

लालू यादव ने यहीं से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की. इस दौर में उन्होंने अपने आप को पिछड़े नेता के रूप में विकसित किया. लेकिन यह लालू यादव के लिए आसान नहीं था. इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष और जुगाड़ बैठानी पड़ी थी.

1970 का दशक रहा महत्तवपूर्ण

लालू यादव के लिए 1970 का दशक काफी महत्वपूर्ण रहा. इस दशक से उनकी राजनीति में एंट्री हुई. उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ (PUSU) के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के उम्मीदवार ने उन्हें हारा दिया. इसके साथ ही लालू यादव ने छात्र राजनीति छोड़ दी. बता दें कि इस चुनाव में हारने से पहले लालू यादव तीन साल तक PUSU के महासचिव पर रह चुके थे. कांग्रेस के उम्मीदवार से चुनाव हारने के बाद लालू ने कुछ महीनों के बाद अपने बड़े भाई की मदद से पटना वेटरिनरी कॉलेज में नौकरी ले ली.

लालू की वजह से गैर कांग्रेसी गठबंधन ने मारी बाजी

PUSU में भी लालू यादव जुगाड़ बैठाने के बाद अध्यक्ष बने थे. उनको अच्छे जानने वाले पत्रकार और लेखक सकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब ‘सबाल्टर्न साहिब: बिहार एंड द मेकिंग ऑफ लालू यादव’ में बताया है कि “1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनावों में गैर-कांग्रेसी छात्रों का निकाय कांग्रेस उम्मीदवार को हराने के मकसद से एकजुट हो गए थे. तब उन्हें एक ऐसे उम्मीदवार की जरूरत थी जो संघ का नेतृत्व करने के साथ ही एक विश्वसनीय और पिछड़े वर्ग से हो और इसके लिए लालू यादव एक दम फिट बैठते थे. लेकिन दिक्कत की बात यह थी कि तब लालू पटना यूनिवर्सिटी के छात्र नहीं थे.

इसके बाद यह पुष्टि की गई कि जातिगत अंकगणित कांग्रेस के खिलाफ है तो लालू लालू चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए. उन्होंने चुपचाप पटना वेटरनरी कॉलेज की अपनी नौकरी छोड़ दी और पटना लॉ कॉलेज में पिछली तारीख से दाखिला ले लिया. वह चुनाव में खड़े हुए और जीत गए. लालू के नेतृत्व में गैर-कांग्रेसी गठबंधन ने PUSU चुनावों में बाजी मार ली थी. 1973 की इस जीत ने लालू यादव को बड़ी लीग के लिए खड़ा कर दिया। इसी साल लालू यादव की राबड़ी देवी से शादी हुई। लालू के लिए यह शादी काफी लकी साबित हुई.

– भारत एक्सप्रेस

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