फिलिस्तीन के भारतीय मित्र
India Palestine Friendship Forum : पश्चिमी एशिया में 7 अक्टूबर को हमास के भीषण हमले के बाद से इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष फिर भड़क उठा. इजरायल ने उसी दिन हमास के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी. आज जंग को 14 दिन हो चुके हैं और दोनों तरफ के हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं..लेकिन यह खूनी लड़ाई थम नहीं रही. अरब मुल्कों से लेकर भारतीय उपमहाद्वीप तक इस्लामिक अनुयायी फिलिस्तीनी मुस्लिमों के समर्थन में आवाज उठा रहे हैं और वे कह रहे हैं कि इजरायल को निर्दोषों की हत्या नहीं करनी चाहिए. कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में जमीयत ओलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने फिलिस्तीन के समर्थन में भाषण दिया.
फिलिस्तीन को समर्थन के लिए स्थापित ‘फ़िलिस्तीन के भारतीय मित्र’ मंच ने शुक्रवार, 20 अक्टूबर को फिलिस्तीन के पीड़ितों का साथ देने की घोषणा की. कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में फिलिस्तीन के भारतीय मित्रों की बैठक में, जमीयत ओलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भारत से “वसुधैव कुटुंबकम” के लोकाचार के प्रति सच्चे रहने और जरूरत के समय फिलिस्तीनी लोगों को गले लगाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘कुछ समूहों द्वारा दिखाए गए रवैये ने देश को नीचा दिखाया है.’
जमीयत अध्यक्ष ने यहूदी लोगों का फिलिस्तीनियों के साथ खड़े होने और खुद को ज़ायोनिस्टों और उनके एजेंडे से अलग करने के लिए प्रशंसा की. उन्होंने “पुलिस राज्य” बनने की दिशा में एक सामाजिक बदलाव के बारे में भी आशंका जताई.
वहीं, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, “गाजा में जारी अत्याचार मानवाधिकारों और पिछली कुछ शताब्दियों में पोषित हर एक मूल्य का घोर उल्लंघन है.” वो आगे बोले, “पश्चिम का पाखंड, घोर दोहरा मापदंड और नैतिक दिवालियापन, जो मूक दर्शक और मौजूदा संघर्ष को बढ़ावा देने वालों के रूप में देख रहे हैं, पूरी तरह से उजागर हो गया है.”
सैयद हुसैनी ने कहा, “यह मानवता की परीक्षा है जो यह निर्धारित करेगी कि क्या वह क्रूरता और शत्रुता के सामने फिलिस्तीन के साथ खड़ी है?” उन्होंने “नेल्सन मंडेला” की तरह ही रंगभेद के खिलाफ संघर्ष में लगे फिलिस्तीनियों के प्रति एकजुटता और समर्थन बढ़ाने का आग्रह किया. जमीयत अहले हदीस हिंद के अमीर मौलाना असगर इमाम मेहदी सलफी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को विश्वगुरु की भूमिका निभानी चाहिए और मौजूदा संकट को कम करने में मदद करनी चाहिए.
संसद सदस्य दानिश अली ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर लगभग पूर्ण चुप्पी पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि कैपिटल हिल में यहूदियों द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन विपरीतार्थक है, यहूदी धर्म ज़ायोनीवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत की ऐतिहासिक विरासत इस मुद्दे पर हमारी सक्रिय भूमिका और समाज के सभी वर्गों के बीच एकजुटता बढ़ाने का आदेश देती है. वहीं, वरिष्ठ लेखक और पत्रकार जॉन दयाल ने फ़िलिस्तीन की अपनी विभिन्न यात्राओं का ज़िक्र किया और गाजा की अमानवीय स्थितियों और इज़रायल के कब्जे पर अपनी चिंता व्यक्त की. उन्होंने पोप से तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया.
पूर्व सांसद केसी त्यागी ने कहा कि भारत फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने वाला पहला गैर-अरब देश था. उन्होंने फ़िलिस्तीन में जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर अफ़सोस जताया जहां फ़िलिस्तीनियों के पास उनकी मूल भूमि का महज़ 7% हिस्सेदारी है. उन्होंने अस्पतालों और स्कूलों पर बमबारी के खिलाफ दुनिया की चुप्पी पर आक्रोश व्यक्त किया. कहा कि हम फिलिस्तीन के मित्र लोग फिलिस्तीन, विशेषकर गाजा की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हैं.
एक अन्य मुस्लिम नेता ने कहा- “हम निर्दोष लोगों, यहां तक कि बच्चों और महिलाओं की लगातार हत्या के साथ-साथ उनके भोजन, पानी, चिकित्सा और बिजली की आपूर्ति रोके जाने, और आबादी वाले क्षेत्रों पर लगातार बमबारी और गाजा को खाली करने के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं.” उन्होंने कहा कि हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि यहूदी कब्ज़ा की वजह से गत कई वर्षों से फ़िलिस्तीनियों को उनके घरों और ज़मीनों से लगातार बेदखल किया जा रहा है और इस भूमि के मूल निवासियों, फ़िलिस्तीनियों पर क्रूरतापूर्वक अत्याचार किया जा रहा है.
मुस्लिम नेताओं सांसद कुंवर दानिश अली, मौलाना महमूद असद मदनी, अध्यक्ष, जमीअत उलमा-ए-हिंद, सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, अमीर, जमात-ए-इस्लामी हिंद, मौलाना असगर अली इमाम महदी, अमीर, जमीअत अहले हदीस हिन्द, मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, महासचिव, जमीअत उलमा-ए-हिंद, जनाब सलीम इंजीनियर जमात इस्लामी हिंद एवं प्रोफसर बिट्ठल, महासचिव आर समाज, प्रोफेसर अदित्य निगम, प्रोफसर शशि शेखर सिंह, जॉन दयाल आदि ने कहा कि फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में नई आबादी को लगातार बसाना और अल-अक्सा मस्जिद को लगातार अपवित्र करना और ऐसी अन्य आक्रामक नीतियां सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन हैं, जो कि इस क्षेत्र में निरंतर शांति और व्यवस्था के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा हैं.
मुस्लिम नेताओं ने कहा- अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तुरंत कार्रवाई करने और रक्तपात रोकने के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है. फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को बहाल करना और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय कानूनों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना क्षेत्र में निरंतर शांति के लिए अत्यंत आवश्यक है. हम सरकार से यह भी मांग करते हैं कि वह भारत की लंबे समय से चली आ रही उपनिवेशवाद विरोधी और फिलिस्तीन समर्थक विदेश नीति को जारी रखे, जिसकी गांधी जी से लेकर वाजपेयी तक वकालत कर चुके हैं और फिलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों को साकार करने में अपने प्रभाव क्षेत्र का उपयोग करें.
फोरम से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि इस अवसर पर उपस्थित प्रतिनिधियों में शिक्षाविद् आदित्य निगम, आर्य समाज के आर्य विट्ठल, प्रोफेसर शशि शेखर और प्रोफेसर सलीम इंजीनियर शामिल थे. बैठक का आह्वान फ़िलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने और इज़रायल की निंदा करने के लिए किया गया था.
– भारत एक्सप्रेस