एसकेआईसी में जी-20 की तीसरी पर्यटन कार्यसमूह की बैठक के दौरान प्रदर्शित सांस्कृतिक कलाकृति ने विदेशी प्रतिनिधियों को मोह लिया. कला और शिल्प बाजार में प्रदर्शित कलाकृतियों को 17 देशों से आए प्रतिनिधियों ने खूब सराहा. शिल्प और कला बाजार में बेशकीमती पश्मीना शॉल, हाथ से बुने कालीन, अखरोट की लकड़ी से बनी कला के शानदार काम, पारंपरिक कांगड़ी , पेपरमाशी आइटम और हाथ से कढ़ाई वाले लिनेन प्रदर्शित किए गए. इन्हें विदेशी प्रतिनिधियों ने पसंद किया और खरीदारी भी की.
विदेशी प्रतिनिधियों का आगमन बड़ा अवसर, कला के विकास में वृद्धि होगी
फारूक जान नामी पुरस्कार विजेता पेपरमाशी के कारीगर ने कहा कि हमारे शिल्प का निरीक्षण करने के लिए प्रतिनिधियों का आगमन बड़ा अवसर है. विश्वास है कि कला के विकास में वृद्धि होगी. प्रतिनिधियों की उत्साही प्रतिक्रियाओं से खुश हैं. बिक्री को बढ़ावा मिला है. कश्मीरी कला और शिल्प की दृश्यता में वृद्धि हुई है. संपूर्ण कश्मीरी समुदाय इस पर गर्व कर सकता है.
ऐतिहासिक मंच से शिल्पकारों को आशा मिली : सज्जाद
उत्तरी कश्मीर के कानिहामा से कानी शॉल बनाने वाले कारीगर सज्जाद ने कहा कि इतने बड़े ऐतिहासिक अवसर पर उपस्थित होने से शिल्पकारों को आशा मिली है. दुनिया भर से लोग इकट्ठे हुए हैं. उम्मीदें लेकर आए हैं. इस विशाल सभा में हमारे पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और कश्मीर की अद्भुत शिल्प कौशल दिखाने की क्षमता है. विदेशी लोगों ने भी हमारी मूर्तियों में निहित बेजोड़ सुंदरता और रचनात्मकता को महसूस किया है. इसमें शिल्प उद्योग को पूरी तरह से बदलने की क्षमता है.
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प्रदर्शनी में रखे हर सामान पर थे जीआई टैग और क्यूआर कोड
हस्तशिल्प के निदेशक महमूद अहमद शाह ने क्राफ्ट बाजार के पहले खंड में सुंदर कलाकृति प्रदर्शित की गईं, जिसके बाद लाइव प्रदर्शन किया. प्रतिभाशाली कलाकारों को कार्य दिए गए, जिससे प्रतिनिधि लकड़ी की नक्काशी, पश्मीना के काम और बसोली पेंटिंग जैसे कलात्मकता देख आश्चर्यचकित रह गए. उन्होंने कहा कि प्रदर्शित सामानों में जीआई टैग और क्यूआर कोड हैं. इससेे ग्राहकों को खरीदारी करने और प्रामाणिकता को सत्यापित करने में मदद मिलती है.
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