भारत में आवारा कुत्तों ने बनाया डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों को शिकार, जानिए यहां कितने हैं Street Dogs? Rabies से सबसे ज्यादा India में होती हैं मौतें

Dog Bite Cases in India: इंसानों के सबसे भरोसेमंद साथी कहे जाने वाले कुत्ते देश में कई जगहों पर दहशत का पर्याय बनते जा रहे हैं. दिल्‍ली-एनसीआर की ही बात करें तो यहां डॉग बाइट के रोजाना हजारों केस सामने आते हैं. अकेले नोएडा में अगस्त महीने में नोएडा से करीब 9 हजार डॉग बाइट के केस सामने आए. पूरे देश में हर घंटे सैकड़ों लोग कुत्‍तों के शिकार बन रहे हैं.

हाल में ही चाय कंपनी वाघबकरी के मालिक और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पराग देसाई की भी डॉग बाइट के कारण मौत हो गई. बहुत-से लोगों को यह खबर पढ़कर दुख हुआ कि हजारों करोड़ की कंपनी के मालिक की जान कुत्‍ते के काटे जाने पर चली गई. बताया जाता है कि पराग 15 अक्टूबर को इवनिंग वॉक पर निकले थे, तभी कुत्तों ने उन पर हमला कर दिया था. अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां ब्रेन हैमरेज से उनकी मौत हो गई. इस घटना के बाद देश में आवारा कुत्‍तों को लेकर फिर बहस छिड़ गई है. एक ओर जहां पशु-प्रेमी आवारा कुत्‍तों को हाथ भी नहीं लगाने देना चाहते, दूसरी ओर कुत्‍तों के काटे जाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं.

डॉग बाइट के भारत में सबसे ज्‍यादा केस

कुत्‍तों द्वारा लोगों को काटे जाने (डॉग बाइट) के सबसे ज्‍यादा मामले भारत में ही सामने आ रहे हैं. यहां वर्ष 2019 से 2022 के बीच भारत में 1 करोड़ 60 लाख लोगों को आवारा कुत्तों ने काटा. यानी हर दिन औसतन 11 हजार लोग कुत्तों के शिकार हुए. कुत्तों ने देश के किसी न किसी हिस्‍से में हर घंटे 457 लोगों पर हमला किया. एक और अंदाजे के मुताबिक, कुत्ता काटने के कारण हुई मौतों में करीब 36%लोगों की मौत रेबीज की वजह से होती है, जिसमें से अधिकांश मामले तो रिपोर्ट ही नहीं होते हैं.

सबसे ज्‍यादा 36% मौतें केवल भारत में

एक स्टडी के मुताबिक, भारत में आवारा कुत्ते सबसे ज्यादा हिंसक और आक्रामक माने जाते हैं. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की रिपोर्ट-2021 के मुताबिक, पूरी दुनिया में रेबीज के संक्रमण से सबसे ज्‍यादा 36% मौतें केवल भारत में होती हैं. हर साल 20 हजार लोगों की जान रेबीज के कारण चली जाती है.

इस देश में साढ़े 6 करोड़ आवारा कुत्‍ते

देशभर में साढ़े 6 करोड़ आवारा कुत्‍ते रहते हैं. आपको यह जानकार हैरानी होगी कि दुनिया में चीन वो देश है, जहां कुत्‍तों को सबसे ज्‍यादा लोग खाते हैं..और भारत वो देश है, जहां किसी भी देश से ज्‍यादा लोगों को कुत्‍ते काट-खाते हैं. पूरी दुनिया में रेबीज के संक्रमण से सबसे ज्‍यादा 36% मौतें केवल भारत में होती हैं.

SC ने कुत्‍तों को दूसरी जगह छोड़ने पर रोक लगाई

भारत में पिछले कई सालों से ये मांग उठती रही है कि आवारा कुत्‍तों को पकड़-पकड़कर शेल्‍टर होम्‍स में पहुंचा देना चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस पर रोक लगाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि स्‍ट्रीट डॉग्‍स को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करना गलत है, और जो कुत्‍ते जहां पर भी रह रहे हैं उन्‍हें वहीं पर रहने दिया जाना चाहिए. कहा जाता रहा है कि इस समस्‍या से छुटकारा दिलाने के लिए स्‍थानीय प्रशासन- नगर निगम, नगर पालिका आदि जिम्‍मेदार हैं, उनको यह निर्देश दिए जाते हैं कि वे हिंसक पशुओं को वैक्‍सीनेटेड करें. दूसरी ओर, कुत्‍तों को कहीं मार-भगाने पर एनिमल लवर्स भी ऑब्‍जेक्‍शन करते हैं.

स्‍ट्रीट डॉग्‍स को वैक्‍सीनेटेड करने में प्रशासन असमर्थ

कुत्‍ते के काटने से रेबीज होता है, जिससे बचना मुकिश्‍ल है. ऐसे में कुत्‍तों को लेकर नगर निगम को यह स्‍पष्‍ठ निर्देश होते हैं कि वो स्‍ट्रीट डॉग्‍स के सैनिटाइजेशन को लेकर अभियान चलाए. हालांकि, किसी भी शहर के नगर निगम द्वारा यह काम गंभीरता से किया ही नहीं जा रहा. शहरों से अक्‍सर यह खबरें आती रही हैं लोगों द्वारा बार-बार निगम की डॉग स्क्वॉड के पास शिकायत करने के बाद भी निगम अमला कोई कार्रवाई नहीं करता.

यह भी पढ़िए: अब कुत्ता पालने से पहले लेना होगा लाइसेंस, नहीं तो इतने रुपए का भरना पड़ेगा जुर्माना

दिल्‍ली में 90% पालतू कुत्‍तों का रजिस्‍ट्रेशन ही नहीं हुआ

राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली की बात करें तो अकेली दिल्‍ली में 8 लाख से ज्‍यादा स्‍ट्रीट डॉग्‍स हैं, लेकिन इनमें से 20 हजार भी वैक्‍सीनेटेड नहीं हैं. और इसी तरह मुश्किल से 10% पालतू कुत्‍तों का रजिस्‍ट्रेशन भी दिल्‍ली में नहीं हुआ है. यानी दिल्‍ली में जिन कुत्‍तों को लोग घरों में पालते हैं, वे 90% ऐसे हैं, जिनका रजिस्‍ट्रेशन ही नहीं करवाया है.

एक महीने में नोएडा में 9 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा

इसी साल अगस्त महीने में नोएडा से डॉग बाइट के 9 हजार केस सामने आए. गौतमबुद्ध नगर में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि अगस्त में नोएडा से अलग-अलग जानवरों द्वारा काटे जाने के 9671 मामले दर्ज किए गए. यहां रोजाना लगभग 150 लोग जिला अस्पताल में एंटी रेबीज का टीका लगवाने पहुंचते हैं.

अम्बेडकरनगर में 8 हजार लोग डॉग-बाइट के शिकार

इसी प्रकार यूपी के अम्बेडकरनगर में तीन महीने में 8 हजार लोग डॉग-बाइट के शिकार हुए. वहां जुलाई के महीने में 2740 लोगों को कुत्तों ने अपना शिकार बनाया था. अगस्त में 2260 और सितम्बर में ये संख्या बढ़कर 3156 हो गई. कुल 8156 लोगों को कुत्‍तों ने शिकार बनाया.

कुत्‍ता काट ले तो इंसान को लगवाने होते हैं पांच डोज

डॉक्‍टर्स का कहना है कि किसी को कुत्‍ता काट ले तो अस्पताल पहुंचकर एंटी रेबीज वैक्सीनेशन कराना चाहिए. सबसे पहले खुले नल के पानी से घाव वाले स्थान को 15 मिनट तक धुलना चाहिए. कुत्ते काटने के घाव पर कभी भी पट्टी ना बाधें, बल्कि उसे खुला रखें. एंटी रेबीज वैक्सीन का पहला डोज 24 घंटे के अंदर ही लगवाना जरूरी है. जिसके कुल पांच डोज पूरे करने होते हैं. जब कुत्ता किसी को काट ले तब पहली डोज लगती है, उसे जीरो डोज माना जाता है. दूसरा डोज काटने के तीसरे दिन लगता है और तीसरा डोज काटने के 7वें दिन लगाया जाता है. इसी तरह चौथा डोज 14वें दिन और पांचवा डोज 28 दिन के बाद लगाया जाता है.

— भारत एक्सप्रेस

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