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MP: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का दिखा कमाल, सिर्फ ग्वालियर चंबल में ही नहीं, मालवा-इंदौर समेत 150 से ज्यादा सीटों पर BJP को मिले सिंधिया वोट

Madhya Pradesh Election: मध्यप्रदेश चुनाव परिणाम आ गए है , भाजपा को अप्रत्याशित जीत मिली है। सभी पोलिटिकल पंडित फेल हो गए साथ में भाजपा के नेताओं ने भी सभी चौंका दिया है। ग्वालियर चम्बल में भाजपा को 2018 की तरह शर्मनाक आंकड़े 7 से इस बार सम्माजनक 18 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से जीत मिली हैं. इन सभी सीटों पर भाजपा को उन सीटों पर जीत मिली है जहां वो कई चुनाव से हार रही थी। ग्वालियर में जहां कई पोलिटिकल पंडित व पत्रकार भाजपा को चुनाव पूर्व 10 सीट भी नहीं जीतवा रहे थे उस जगह पर भाजपा को सिंधिया के असर के कारण 18 सीट मिली। ग्वालियर चम्बल सीट जहां पर आदिवासी – जाटव , गुर्जर व यादव समाज जो इस चुनाव में पूर्णतः कांग्रेस के साथ था उन जगहों पर भी भाजपा जो कभी टक्कर में भी नहीं रहती थी वो जीती।

20 साल में पहली बार जीता भीतरवार

केंद्रीय मंत्री के भाजपा के आने के बाद पहली बार भाजपा का खाता भीतरवार में खुला जिस सीट पर भाजपा कभी नहीं जीत पाई थी इस बार सिंधिया समर्थक मोहन सिंह राठौड़ ने चार बार के विधायक को हराया।

मालवा – निमाड़ किया भाजपा के हवाले

महत्वपूर्ण मालवा निमाड़ जिसे माना जाता है सत्ता की चाभी। 2018 में सिंधिया के असर के कारण जैसा परिणाम कांग्रेस को मिला था इस बार सिंधिया की वजह से भाजपा की सीट इस क्षेत्र में ढाई गुना बढ़ गई , 66 में से 48 bjp ने जीत कर सरकार बनाई है ।

इंदोर में प्रचार का हुआ असर

इसी प्रकार इंदोर जहां से सिंधिया परिवार से सदियों का नाता रहा है वहाँ सिंधिया के प्रचार की वजह से 9 में से 9 सीट भप को मिली है । इस प्रकार से सिंधिया के प्रभाव के 150 सीटें विभिन्न संभागों में जिसमें भाजपा को सिंधिया का पार्टी में होने से भाजपा को फ़ायदा हुआ है ।

भाजपा का वोट बढ़ाया

भाजपा के वोट बढ़ने में सिंधिया का असर है। भाजपा को इस चुनाव में 8 प्रतिशत वोट बढ़े है जो इस चुनाव में जो भाजपा को महंगाई, परीक्षा में आरोप और ख़ासकर शिवराज से जनता का मन भर जाने के कारण बैकफूट में चल रही थी जो भाजपा का मूल वोट 2018 से कम कर रहा था वहा पर बड़ा वोट सिंधिया के प्रचार व एतिहासिक पारिवारिक प्रभाव के कारण बढ़ी है ।

सिंधिया ने की जीतोड़ मेहनत

लगातार कांग्रेस के सीधे हमले व पार्टी के भीतर के दुश्मनों को झेलते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस चुनाव की तैयारी फ़रवरी में ही शुरू कर दी थी । ग्वालियर चम्बल के विद्रोही व्यवहार को वो अच्छी तरह जानते और समझते है । ख़ासकर भाजपा कभी भी अपनी मजबूत पैठ इस संभाग में बना पाई है । उन्होंने अपने स्तर पर समाज सम्मेलन की शुरुआत की जिसके कारण सभी समाजों के लोगों को जोड़ने व भाजपा के तरफ़ मोड़ने में कामयाब रहे । केंद्रीय मंत्री ने 48 समाज सम्मेलन कर लाखों को संख्या में जनता को भाजपा की तरफ़ मोड़ा ।

कार्यकर्ताओं में भरा जोश

केंद्रीय मंत्री इस नई स्थिति को समझते थे की किस प्रकार जो लाखों की संख्या में नए कार्यकर्ता आए है और जो लाखों भाजपा के पुराने कार्यकर्ता है उन्मे सामंजस्य बनाना ज़रूरी है। 3090 बूथ पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं से वो मिले उनमें जोश भरा व साथ में लड़ने की तैयारी उन्होंने आख़िरी दो महीनों में खूब की । उन्होंने कई कार्यकर्ता सम्मेलन पानी में भीगते हुए भी किया ।

13 दिन में 80 सभाएं

नवम्बर माह में केंद्रीय मंत्री ने अपने आप को चुनाव में पूरा झोंक दिया उन्होंने रोज़ाना 18 घंटे से अधिक काम करते हुए एक एक दिन में विभिन्न संभागो में पार्टी के लिए प्रचार किया । उनका असर ग्वालियर – चम्बल – मालवा और इंदोर के परिणामों में देखने को मिला ।

काम नहीं आया कांग्रेस का प्रायोजित गुर्जर – आदिवासी विद्रोह

केंद्रीय मंत्री को घेरने के लिए कांग्रेस ने गुर्जर और आदिवासी समाज से ग्वालियर में विद्रोह कराने की कोशिश की , ऑक्टोबर माह में दोनों समाज से ज़िला मुख्यालय में विरोध प्रदर्शन व विरोध कराया गया । साथ में गुर्जर समाज के लोगों को बहकाने की बहुत कोशिश हुई।

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

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