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Sushma Swaraj ने जब संसद में कहा था ‘हां हैं हम सांप्रदायिक क्योंकि…’, तालियों से गूंज उठा था सदन

Sushma Swaraj Birth Anniversary: सुषमा स्वराज ने कहा, “इस देश के संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्षता की क्या कल्पना की थी और इस देश के शासकों ने इसे किस स्वरूप में ढाल दिया, इस पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए.”

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दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज

Sushma Swaraj Birth Anniversary: बीजेपी की कद्दावर नेता, दिल्ली की पूर्व सीएम और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की आज जयंती है. सुषमा स्वराज हाजिरजवाबी और वाकपटुता के लिए जानी जाती थीं. अपनी प्रभावी हिंदी से वह संसद से लेकर यूएन तक में छा जाती थीं. सदन में चर्चा के दौरान जब वह अपनी बात रखती थीं, दूसरे खेमे के नेताओं के पास उनके सवालों के जवाब नहीं होते थे. भाषा की मर्यादा में रहते हुए वह विरोधियों पर खूब हमले करती थीं. सुषमा स्वराज के ऐसे कई भाषण हैं जिनका जिक्र अक्सर राजनीतिक चर्चाओं में आता है. उनका ऐसा ही एक भाषण 11 जून, 1996 का है जब सदन में विश्वासमत के प्रस्ताव के विरोध में वह बोल रही थीं. उस दिन सुषमा स्वराज की हर बात पर सदन में तालियां गूंजी थीं.

विश्वासमत के प्रस्ताव के विरोध में अपनी बात रखते हुए सुषमा स्वराज ने कहा था, “मेरी तरफ से ये प्रश्न पूछा गया है कि क्या ये जनादेश कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए था? इसका जवाब अभी तक नहीं मिला है, मैं उम्मीद करती हूं कि प्रधानमंत्री जवाब देंगे कि क्या कि ये जनादेश कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए था. आज से पहले, इस सदन में एक दल की सरकार होती थी और बिखरा हुआ विपक्ष होता था. लेकिन आज बिखरी हुई सरकार और एकजुट विपक्ष है. क्या ये दृश्य जनादेश के अवहेलना की खुली कहानी नहीं कह रहा है?”

भगवान राम के वनवास का किया था जिक्र

सुषमा स्वराज ने आगे बोलना शुरू, “इतिहास में यह घटना पहली बार नहीं घटी है जब राज्य का सही अधिकारी अपने राज्याधिकार से वंचित कर दिया गया. त्रेता में यही घटना राम के साथ घटी थी. राजतिलक करते-करते वनवास दे दिया गया था. द्वापर में यही घटना धर्मराज युधिष्ठिर के साथ घटी थी जब धूर्त शकुनि की दुष्ट चालों ने राज्य के अधिकारी को राज्य से बाहर कर दिया था. अगर एक मंथरा और एक शकुनि राम और युधिष्ठिर को सत्ता से बाहर कर सकते हैं. तो हमारे खिलाफ न जाने कितने शकुनि और कितने मंथरा खड़े थे, हम राज्य में कैसे बने रह सकते थे.”

विश्वासमत के खिलाफ बोलते हुए सुषमा ने कहा, ‘धर्मनिरपेक्षता का बाना पहनकर, हम पर साम्प्रदायिकता का आरोप लगाकर, ये तमाम लोग एक हो गए. इस देश के संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्षता की क्या कल्पना की थी और इस देश के शासकों ने इसे किस स्वरूप में ढाल दिया, इस पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए.”

साम्प्रदायिक होने के आरोपों का दिया था जवाब

तब सुषमा ने कहा था, “हम साम्प्रदायिक हैं, हां हम साम्प्रदायिक हैं क्योंकि हम वंदेमातरम गाने की वकालत करते हैं. हम साम्प्रदायिक हैं, क्योंकि हम राष्ट्रीयध्वज के सम्मान के लिए लड़ते हैं. हम साम्प्रदायिक हैं क्योंकि हम धारा 370 को खत्म करने की वकालत करते हैं. हम साम्प्रदायिक हैं क्योंकि हम समान नागरिक संहिता की बात करते हैं. हम साम्प्रदायिक हैं क्योंकि हम कश्मीरी शरणार्थियों के दर्द को जबान देने की बात करते हैं.”

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कांग्रेस और सपा पर बोला था जमकर हमला

कांग्रेस समेत तमाम दलों पर तंज कसते हुए सुषमा स्वराज ने कहा, “दिल्ली की सड़कों पर 3000 सिखों का कत्लेआम करने वाली कांग्रेस ‘सेक्युलर’ है? बिहार में मुस्लिम और यादव का जोड़ बिठाकर राजनीति करने वाले ये जनता दल वाले ‘सेक्युलर’ हैं? अपने वोटबैंक को खुश करने के लिए रामभक्तों को गोलियों से भूनने वाले ये सपा वाले सेक्युलर हैं? घुसपैठियों को बचाने वाले ये वामपंथी सेक्युलर हैं? सच्चाई तो ये है कि चूंकि हम अपने हिंदू होने पर शर्म महसूस नहीं करते हैं, इसीलिए हम कम्युनल हैं, इसीलिए हम साम्प्रदायिक हैं.” बता दें कि 6 अगस्त, 2019 को कार्डिएक अरेस्ट के कारण सुषमा स्वराज का निधन हो गया था.

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